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उत्तरकाशी 12 सितम्बर, 2025 (सूचना)
जनपद में आगामी 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वास्थ्य पखवाड़ा आयोजित किया जाएगा। स्वास्थ्य पखवाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,आयुष्मान आरोग्य मंदिर तथा जिला चिकित्सालय स्तर पर बृहद रूप से आयोजित किया जाएगा। राज्य स्तर पर देहरादून और नैनीताल में मेघा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धनसिंह रावत ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की। तथा जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य पखवाड़े के अन्तर्गत प्रदेशभर में 2300 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएगी। इस दौरान डायबिटीज,कैंसर सहित अन्य रोगों की जांच, स्वास्थ्य परीक्षण,निःशुल्क औषधि वितरण,ब्लड डोनेशन कैंप भी आयोजित किए जाएंगे। विशेष रूप से 250 से अधिक केंद्रों पर रक्तदान शिविरों का आयोजन कर रक्तदान करने वाले लोगों का पंजीकरण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर को राज्य की सभी 70 विधानसभाओं में एक साथ विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने सभी अधिकारियों को व्यापक तैयारी एवं प्रभावी प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं,ताकि अधिक से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि जनपद में स्वास्थ्य पखवाड़े की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम को देखते हुए अन्य विभागों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गई है। तथा जनसहभागिता पर विशेष बल दिया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी.एस. रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में 17 सितम्बर से कुल 208 स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। जिसमें प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर मेगा स्वास्थ्य कैम्प भी आयोजित होगा। इसके अतिरिक्त दिव्यांग प्रमाण पत्र,आवश्यक स्वास्थ्य जांच एवं परीक्षण,निःशुल्क दवाई वितरण,वरिष्ठ नागरिकों हेतु डॉक्टर की सलाह पर चश्मों का वितरण भी किया जाएगा।
बैठक में सीएमओ डॉ. बी.एस. रावत, सीएमएस डॉ. पी.एस. पोखरियाल, सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
🛑 उत्तरकाशी, 12 सितंबर 2025
जिले में 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक ब्लॉक स्तर पर ’सेवा पखवाड़ा‘ थीम के अन्तर्गत *स्वच्छता अभियान और पर्यावरण सरंक्षण* कार्यक्रम का आयोजन वृहद स्तर पर किया जाएगा। तथा आगामी 17 सितंबर को समस्त ब्लॉकों में बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मुख्य विकास अधिकारी को ऑल ओवर इंचार्ज तथा विकासखंडवार सभी संबंधित खंड विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया है।
आगामी 17 सितंबर को विकासखंड मोरी,नौगांव,चिन्यालीसौड़, डुंडा,भटवाड़ी विकासखण्ड मुख्यालयों तथा विकासखण्ड पुरोला में आयोजित होने वाला बहुउद्देश्यीय शिविर तहसील परिसर पुरोला में आयोजित किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने कार्यक्रम को लेकर सम्बंधित अधिकारियों से सभी तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि जन-प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं,गणमान्य नागरिकों सहित आम लोगों की भागीदारी से शिविर को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जाय। तथा विभिन्न योजनाओं से लाभार्थियों को लाभान्वित करने के साथ ही राज्य सरकार के विकास कार्यों एवं जन-कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करना सुनिश्चित करेंगे।
उत्तरकाशी 12 सितम्बर, 2025 (सूचना)
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य की अध्यक्षता में शुक्रवार को जिला गंगा समिति (नमामि गंगे) की बैठक हुई।जिलाधिकारी ने गंगोत्री से चिन्यालीसौड़ तक एवं डामटा से जानकीचट्टी तक सीवर एफ०एस०टी०पी० आदि कार्यों हेतु अब तक किये गये प्रयासों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने पर्यटन विभाग को निर्देशित किया कि 20 सितम्बर से 30 सितम्बर तक एक विशेष अभियान चलाया जाए। जिसके अंतर्गत ऐसे होटल एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान जो अभी तक एसटीपी से नहीं जुड़े हैं उनका अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने गंगोत्री धाम में शेष बचे हाउस होल्ड्स को सीवर सुविधा से जोड़ने के लिए परियोजना प्रबन्धक निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई को शीघ्र डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए। ताकि कार्य को गति प्रदान की जा सके और गंगा स्वच्छता मिशन को बल मिल सके। उल्लेखनीय है कि वर्तमान तक उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास 20 कमरों से अधिक वाले 123 होटल पंजीकृत है। जिसके सापेक्ष 104 होटल एसटीपी से जुड़े है और शेष पर कार्रवाई गतिमान है।
जिलाधिकारी ने गंगा और गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए। गंगा की सहायक नदियों और उनमें गिरने वाले नालों को साफ व स्वच्छ रखने के लिए वृहद स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का उचित निस्तारण सुनिश्चित करने पर जोर दिया। समस्त नगर निकायों में डोर टू डोर कूड़े कलेक्शन को नियमित रूप से सुनिश्चित करने और कचरे को सैगरिकेट कर उचित निस्तारण करने और आम जनता को गीले और सूखे कचरे के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए।
बैठक में डीएफओ डीपी बलूनी,जिला खनन अधिकारी प्रदीप कुमार,पर्यावरण विशेषज्ञ स्वजल प्रताप मटूड़ा,गंगा विचार मंच के प्रदेश संयोजक लोकेंद्र बिष्ट,जयप्रकाश भट्ट सहित समिति के अन्य पदाधिकारी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
स्वास्थ्य विभाग उत्तरकाशी
12 सितंबर 2025*
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी एस रावत द्वारा जानकारी दी गई कि बृहस्पतिवार को उपजिला चिकित्सालय पुरोला में चिकित्सकों की सूझबूझ एवं कुशलता से एक गंभीर दुर्घटना में घायल मरीज का जीवन सुरक्षित किया गया। उनके द्वारा चिकित्सा दल में शामिल फिजिशियन डॉ मनोज असवाल, सर्जन डॉ अर्पित राय, डॉ माही, नर्सिंग ऑफिसर हर्षमणी नौडियाल, रेडियोग्राफर अनूप नौडियाल आदि की सराहना करते हुए बताया गया कि श्री मनवीर सिंह ग्राम देवजानी की छाती में लकड़ी का टुकड़ा फँस गया था। घटना की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सकों की टीम ने तत्परता से ऑपरेशन कर लकड़ी का टुकड़ा सफलतापूर्वक बाहर निकाला। यह शल्यक्रिया अत्यंत जोखिमपूर्ण थी, परंतु चिकित्सकों की विशेषज्ञता एवं टीमवर्क से मरीज को सुरक्षित बचा लिया गया।
फिलहाल मरीज की स्थिति सामान्य है तथा वह चिकित्सकीय निगरानी में है। इस सफल उपचार पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा पूरी चिकित्सा टीम को बधा

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*यातायात पुलिस ने स्कूली छात्र-छात्राओं को पढाया सड़क सुरक्षा का पाठ।*
सडक दुर्घटनाओं पर अकुंश व यातयात नियमों के प्रति जनजागरुकता बढाने हेतु *श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन मे यातायात पुलिस की टीम द्वारा आज 12 सितम्बर 2025 को श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल बडकोट में सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में *यातायात उपनिरीक्षक श्री विरेन्द्र सिंह पंवार* द्वारा छात्र/छात्राओं को सड़क सुरक्षा तथा यातायात के नियमों जैसे- ओवरस्पीड, दोपहिया वाहन में तीन सवारी न बैठाना, बाईक स्टंटिंग, वाहन चलाते समय मोबाईल फोन का प्रयोग न करने, ड्रंक एण्ड ड्राइव आदि के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये सड़क सुरक्षा की दृष्टि से सड़क पर अनावश्यक खेल-खूद व अन्य एक्टिविटी न करने की हिदायत दी गयी, छात्र/छात्राओं व स्कूल के अध्यापकगणों को गुड सेमेरिटन की जानकारी देते हुये सड़क दुर्घटना के दौरान घायलों की मदद के लिए प्रोत्साहित किया गया। 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिगों को वाहन न चलाने की सलाह दी गयी।
सीओ बड़कोट के नेतृत्व में पुलिस ने चलाया वाहन चैकिंग अभियान*
*पुलिस उपाधीक्षक बडकोट श्री देवेन्द्र सिंह नेगी* के नेतृत्व मे थाना बडकोट पुलिस की टीम द्वारा आज 12 सितम्बर 2025 को बडकोट देहरादून राज्य मोटर मार्ग पर भाटिया के पास वाहन चैकिंग अभियान चलाते हुये यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों पर चालानी कार्रवाई की गयी, इस दौरान पुलिस द्वारा यातायात नियमों का उलंघन करने वाले *6 लोगों के खिलाफ एमवी एक्ट में चालानी कार्रवाई की गयी, जबकि 1 वाहन सीज किया गया।* वाहन चालकों को यातायात नियमों की जानकारी देते हुये शराब पीकर वाहन न चलाने, ओवर लोडिंग न करने, रैट्रो साईलेन्सर का प्रयोग न करने, तीव्र गति में वाहन न चलाने तथा दोपहिया वाहन पर हेलमेट का अनिवार्य रुप से प्रयोग करने की सख्त हिदायत दी गय
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*फायर सर्विस की टीम ने छात्राओं व अध्यापक गणों को अग्नि सुरक्षा के प्रति किया जागरुक*
समाज मे अग्नि दुर्घटनाओं के प्रति जागरुकता बढाने के उदेश्य से *श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदया उत्तरकाशी* के निर्देशन में चलाये जा रहे जनजागरुकता अभियान के क्रम में *फायर स्टेशन बड़कोट की टीम द्वारा आज 9 सितम्बर 2025 को राजकीय आदर्श बालिका इंटर कॉलेज बड़कोट में छात्राओं व अध्यापक गणों को अग्नि दुर्घटनाओं की व्यापक जानकारी देते हुये रोकथाम एवं आग से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारियां दी गई।* सभी को कृतिम आग लगाकर प्राथमिक अग्निशमन उपकरणों के संचालन की जानकारी मॉक ड्रिल के माध्यम से दी गई, छात्राओं को फायर यूनिट द्वारा एलपीजी गैस सिलेंडर में लगी आग को बुझाने के साथ-साथ अपने आप को अग्नि से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं के बारे में डेमो देकर जागरुक किया गया। सभी को हेल्पलाईन नम्बर की जानकारी देते हुये किसी भी अग्नि दुर्घटना के दौरान तुरन्त 112 पर कॉल कर सूचना देने की हिदायत दी गयी।
*यातायात पुलिस कर्मियों द्वारा गर्भवती महिला को स्ट्रेचर से स्लाईडिंग जोन पार करवाया गया।*
आज 10.09.2025 को एक गर्भवती महिला को एम्बुलेंस के माध्यम से चिन्यालीसौड से उत्तरकाशी जिला अस्पताल लाया जा रहा था, गंगोत्री हाईवे, नालूपानी स्लाईडिंग जोन के पास आवाजाही बाधित होने से महिला स्लाईडिंग जोन के पास फंस गयी थी, मौके पर यातायात निरीक्षक श्री संजय रौथाण के नेतृत्व में ड्यूटीरत यातायात कर्मियों द्वारा महिला के परिजनों व स्वास्थ्य कर्मियों की मदद लेत हुये महिला को स्ट्रेचर से डेंजर जोन पार करवाकर बिना देरी किये यातायात पुलिस के सरकारी वाहन से देवीधार तक पहुँचाकर एम्बुलेंस से उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय के लिये भेजा गया।
*उत्तरकाशी पुलिस ने धराली आपदा प्रभावितों को की राहत सामग्री वितरित*
बीते 5 अगस्त 2025 को जनपद उत्तरकाशी के हर्षिल,धराली क्षेत्र में आई भीषण प्राकृतिक आपदा में भारी जान-माल का नुकसान हुआ था। आपदा के तुरंत बाद से ही वहां पर राहत एवं बचाव कार्य पुरजोर तरीके से चलाया गया। प्रभावित परिवारों को शासन–प्रशासन द्वारा लगातार खाद्य एवं राहत सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है।
*श्रीमती सरिता डोबाल पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन में आज 10 सितंबर 2025 को *पुलिस उपाधीक्षक श्री जनक सिंह पंवार* द्वारा उत्तरकाशी पुलिस टीम के साथ धराली गांव पहुंचकर आपदा प्रभावितों से मिलकर कुशलक्षेम जानी गयी तथा प्रभावित परिवारों को *हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड हरिद्वार* के सौजन्य से प्राप्त कम्बल, तिरपाल, जूते/चप्पल, बर्तन आदि आवश्यक उपयोग की वस्तुएं वितरित की गई।
पुलिस उपाधीक्षक श्री पंवार द्वारा सभी को पुलिस-प्रशासन की ओर से हर संभव मदद का भरोसा दिया गया।
आज 11 सितम्बर 2025 को खरादी, गंगाणी कुंड के पास यमुना नदी की बीच टापू पर एक गाय के फंसे होने की सूचना मिलने पर फायर स्टेशन बडकोट की टीम द्वारा तुरन्त मौके पर पहुंचकर यमुना नदी के तेज जल प्रवाह के बीच फंसी मवेशी को रस्सों की सहायता से सुरक्षित रेस्क्यू किया गया।
🛑🛑उत्तरकाशी, सितंबर 2025
*नागरिकों की समस्याओं के निस्तारण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं : जिलाधिकारी*
*जिलाधिकारी कार्यालय में आए फरियादियों की समस्या को दे रहे प्राथमिकता*
*समस्या के तत्काल समाधान के लिए संबंधित अधिकारी को कॉल कर दिये निर्देश*
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य द्वारा कार्यालय में आए लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सभी सम्बन्धित अधिकारियों को तत्काल संज्ञान लेने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक की समस्या का समाधान तत्काल किया जाए और उसे टाला न जाए।
जिलाधिकारी स्वयं अपने कार्यालय में समस्या लेकर आ रहे नागरिकों की तत्काल सुनवाई कर रहे हैं। आज भटवाड़ी तहसील के ग्राम हीना से जयशाही नामक व्यक्ति द्वारा वृद्धावस्था पेंशन के संबंध में समस्या पर जिलाधिकारी प्रशांत आर्य द्वारा तत्काल संज्ञान लेते हुए समाज कल्याण अधिकारी को आवश्यक करवाई करने के निर्देश दिए।
दूसरी समस्या ललित मोहन नौटियाल पुजारी कुटेटी देवी मंदिर वार्ड न. 3 तिलोथ उत्तरकाशी के द्वारा अवगत कराया गया कि मंदिर में 3 सप्ताह से पेयजल आपूर्ति बाधित है जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल कारवाई करने के आदेश दिए है।
इसके अतरिक्त जिलाधिकारी द्वारा कई शिकायतों का मौके पर निस्तारण किया तथा कुछ शिकायतों का संबंधित अधिकारियों को अवलोकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।।🛑*1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट बनी पशुपालकों की आस*
*जिलाधिकारी ने स्वयं 1962 पर कॉल कर लिया जायजा*
प्रदेश में संचालित 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट पशुपालकों के लिए काफी मुफीद साबित हो रही है। एक कॉल पर पशु चिकित्सकों की टीम पशुपालक के घर पहुंचकर पशुओं का इलाज कर दवाई तक वितरण कर रही है।
आज जनपद प्रभारी नीला सिंह ने जिलाधिकारी प्रशांत आर्य से मुलाकात की और जिले में चल रही 1962 सेवा मोबाइल वेटरनरी यूनिट की जानकारी साझा की । जिलाधिकारी द्वारा जिले में चल रही 1962 मोबाइल वेटरिनरी यूनिट की प्रशंसा की गई है।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने स्वयं 1962 पर कॉल कर की और 1962 सेवा मोबाइल वेटरनरी के रेस्पॉन्स सिस्टम की जानकारी भी ली।
जिला प्रभारी नीला सिंह द्वारा बताया गया कि उत्तरकाशी जिले में *पाँच* 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट (भटवाडी, डुंडा , चिन्यालीसौड़, नौगांव, मोरी) निशुल्क संचालित की जा रही है।
यह टीम गांव गांव पहुंचकर पशुपालकों की सेवा में समर्पित कार्य कर रही है। यह मोबाइल यूनिट न केवल बीमार पशुओं का समय पर इलाज कर रही है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिला प्रभारी द्वारा यह भी बताया गया कि पूरे जिला में अभी तक इस 1962 एम.वि.यू के द्वारा 23230 हजार से अधिक पशुओं का निशुल्क उपचार किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग उत्तरकाशी
*छात्रों को आत्महत्या की प्रवृत्ति के प्रति किया गया जागरूक।*
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वाधान में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बुधवार को आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आदर्श कीर्ति इण्टर काॅलेज उत्तरकाशी में विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा छात्रों को आत्महत्या जैसी गंभीर समस्या के प्रति जागरूक किया गया। छात्रों को जीवन की चुनौतियों का सकारात्मक रूप से सामना करने, मानसिक तनाव को साझा करने तथा परिवार एवं शिक्षकों से संवाद बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नही है। कठिन समय में परामर्श, मित्रों और परिजनों से बातचीत तथा सकारात्मक सोच अपनाकर समस्याओं से बाहर निकला जा सकता है। अंत में उनके द्वारा छात्रों को यही संदेश दिया गया कि जीवन अमूल्य है और हर समस्या का समाधान संवाद एवं सहयोग से संभव है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम में मीनाक्षी बुटोला, कपिल राणा, सोनिया बिष्ट, शशिबाला पंवार एवं विद्यालय के शिक्षक आदि मौजूद रहे।🛑🛑 उत्तरकाशी, सितंबर 2025
मा. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज जनपद के धराली- हर्षिल में आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। 5 अगस्त को धराली में अतिवृष्टि के कारण खीरगंगा से भीषण आपदा आई थी। जिसके बाद राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाकर प्रभावितों को हरसंभव मदद उपलब्ध कराई गई थी।
मा. प्रधानमंत्री जी का उत्तराखण्ड से विशेष लगाव है, यही कारण है कि आपदा के इस कठिन समय में प्रधानमंत्री द्वारा निरंतर उनका सहयोग एवं मार्गदर्शन मिलता रहा।
विगत दिनों केंद्र सरकार की एक टीम द्वारा भी आपदाग्रस्त क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया गया। टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद मा. प्रधानमंत्री द्वारा राहत पैकेज की घोषणा की जाएगी।
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*Padma Shri Professor B. R. Deodhar*
( Born : 11 September 1901 – Died : 10 March 1990 )
*भारतीय शास्त्रीय गायक पद्मश्री प्रो. बी.आर. देवधर*
( जन्म : 11 सितंबर 1901 - निधन : 10 मार्च 1990 )
प्रोफेसर बी.आर. देवधर एक भारतीय शास्त्रीय गायक, संगीतज्ञ और संगीत शिक्षक थे। वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ख़याल शैली के गायक थे।
देवधर का जन्म 11 सितंबर 1901 को महाराष्ट्र के वर्तमान सांगली जिले के मिरज में हुआ था। उन्होंने प्रसिद्ध गायक और शिक्षक विष्णु दिगंबर पलुस्कर (1872-1931) के गुरु भाई और ग्वालियर घराने के बालकृष्ण बुवा इचलकरंजीकर के शिष्य नीलकंठ बुवा जंगम से संगीत की शिक्षा शुरू की। इसके बाद उन्होंने पलुस्कर के वरिष्ठ शिष्य पंडित विनायकराव पटवर्धन से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाद में वे गंधर्व महाविद्यालय में शामिल हो गए, जहां वे संस्था के संस्थापक विष्णु दिगंबर पलुस्कर के एक प्रमुख शिष्य बन गए। देवधर पलुस्कर के एकमात्र छात्र थे जिन्हें औपचारिक शिक्षा जारी रखने की भी अनुमति थी। इस प्रकार मैट्रिकुलेशन (आर्यन एजुकेशन सोसाइटी हाई स्कूल से) के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा भी हासिल की और बाद में विल्सन कॉलेज से इतिहास और अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री प्राप्त की।
1925 में, प्रो. देवधर ने अपने गुरु पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्करजी की सलाह के अनुसार मुंबई में भारतीय संगीत विद्यालय की स्थापना की।
1926 से 1930 के बीच उनका स्वर्गीय पंडित वी.एन.भटकाढ़े से निकट संपर्क रहा, जिन्होंने उन्हें भारतीय संगीत के अनुसंधान में मार्गदर्शन दिया और विभिन्न घरानों द्वारा अपनाई गई तकनीकों का अध्ययन करने तथा यथासंभव पुरानी "बंदिशियों" को एकत्रित करने की सलाह दी।
आने वाले वर्षों में, उन्होंने विभिन्न परंपराओं के प्रमुख संगीतकारों के साथ संगीत चर्चायें और दुर्लभ "बंदिशों" का संग्रह जारी रखा, जिनमें आगरा घराने के प्रमुख संगीतकार, जयपुर घराने के मोहनराव पालेकर, सारंगी वादक मजीद खान, इनायत खान, गणपतराव देवास्कर, गोखले घराने के पं. सदाशिव बुवा जाधव, ग्वालियर घराने के सिंदे खान, इंदौर घराने के बिनकार मुराद खान, पं. भोलानाथ भट्ट, और सबसे महत्वपूर्ण, पटियाला घराने के बड़े गुलाम अली खान शामिल हैं, जिनके साथ वे कई वर्षों तक जुड़े रहे और जिनकी गायकी शैली पर एक महत्वपूर्ण संगीत प्रभाव पड़ा। इस प्रकार, उन्होंने अपने गायन में कई परंपराओं, घरानों की शैलियों को शामिल किया, और इसने एक संगीतज्ञ के रूप में उनके करियर का मार्ग भी प्रशस्त किया।
1948 में उन्हें अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल का मानद अध्यक्ष चुना गया। 1952, 54, 57, 61, 64, 71 में वे पुनः अध्यक्ष चुने गए तथा वृद्धावस्था के कारण 1973 में सेवानिवृत्त हुये।
नवंबर 1948 से मई 1973 तक “संगीत कला विहार” (हिंदी और मराठी-मासिक पत्रिका) के मुख्य संपादक के रूप में कार्य किया और वृद्धावस्था के कारण इस्तीफा दे दिया।
1954 में "संगीत नाटक अकादमी" के कार्यकारी बोर्ड के लिये चुने गये। अगस्त 1955 में मनीला (फिलीपींस) में आयोजित यूनेस्को द्वारा प्रायोजित दक्षिण पूर्व एशिया संगीत सम्मेलन में भाग लेने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा संगीतज्ञ प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था। भारतीय संगीत के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए उन्होंने जापान, हांगकांग और बैंकॉक का भी दौरा किया।
दिसंबर 1958 में भारत सरकार ने उन्हें रूस, पोलैंड, यूगोस्लाविया और चेकोस्लोवाकिया की यात्रा के लिए विभिन्न कलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लोगों के प्रतिनिधिमंडल में भारतीय संगीत के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया।
उन्होंने विशेष रूप से न्यूयॉर्क के डगलस स्टेनली के निष्कर्षों के बाद "वॉयस कल्चर" के विज्ञान के अनुसंधान के लिए छह साल समर्पित किए। वे 1960 में अमेरिका से लौटे।
अमेरिका से लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने संगीत एवं ललित कला महाविद्यालय के प्राचार्य का पदभार ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया और संगीत संकाय का विभागाध्यक्ष एवं डीन नियुक्त किया। 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्ति के बाद, राजस्थान स्थित वनस्थली विद्यापीठ ने उन्हें अपने संगीत विभाग के संचालन हेतु आमंत्रित किया और विभागाध्यक्ष नियुक्त किया। 1968 में वे इस संस्थान से सेवानिवृत्त हुये।
1971 में पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर का जीवन परिचय मराठी में प्रकाशित हुआ। उसी वर्ष इसका हिंदी संस्करण भी प्रकाशित हुआ। दूसरी पुस्तक "थोर संगीतकार" प्रकाशित हुई । इस पुस्तक में पिछली पीढ़ी के 22 कलाकारों के जीवन-चित्र शामिल हैं। स्वर संस्कृति विज्ञान पर मराठी में तीसरी पुस्तक "आवाज साधना शास्त्र" प्रकाशित हुई। उन्होंने गंधर्व महाविद्यालय मंडल के पाठ्यक्रम पर आधारित "राग बोध" के छह भाग लिखे। अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल ने 1961 में उन्हें "संगीत महा महोपाध्याय" की उपाधि से सम्मानित किया।
1964 में, उन्हें संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया, जो भारत की राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी द्वारा प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। इसके बाद 1976 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार का तानसेन सम्मान भी प्राप्त हुआ। 10 मार्च 1990 को मुंबई में उनका निधन हो गया
Remembering eminent Indian Hindustani Classical Music VOCALIST, MUSICOLOGIST and GURU Professor B. R. DEODHAR on his Birth Anniversary today.
Professor B. R. Deodhar was a Vocalist of Khayal-Genre of Hindustani Classical Music. He was awarded the 1964 Sangeet Natak Akademi Fellowship, the highest honour conferred by Sangeet Natak Akademi, India's National Academy for Music, Dance and Drama. Thereafter in 1976, he was awarded the Padma Shri, by Government of India.
Deodhar was born in Miraj in present Sangli district of Maharashtra on 11 September 1901. He started his musical training with Nilkanth Buwa Alurmath, the guru bhai of noted singer and educator Vishnu Digambar Paluskar (1872–1931), and a disciple of Balakrishnabuwa Ichalkaranjikar of Gwalior gharana. Thereafter, he also received training under Abdul Karim Khan of Kirana gharana and Vinayakrao Patwardhan, another disciple of Paluskar. Later he joined the Gandharva Mahavidyalaya, where he became a leading disciple of Vishnu Digambar Paluskar, the founder of institution. Deodhar was the only student of Paluskar, who was allowed to also pursue formal education. Thus after matriculation he also pursued higher education and later received a B.A. degree. He also studied Western classical music.
In the coming years, he continued his musical education from leading musicians of various traditions including those from Agra gharana, Mohanrao Pakelar from Jaipur Gharana, sarangi-player Majeed Khan, Inayat Khan, Ganpatrao Dewaskar, Pt. Sadashivbuwa Jadhav of Gokhale gharana, Shinde Khan of Gwalior gharana, sitar-player Murad Khan of Indore, and most importantly, Bade Ghulam Ali Khan of Patiala gharana, with whom he remained associated for many years, and became an important musical influence on his gayaki, singing style. Thus, he incorporate styles of several traditions, gharanas into his singing, and this also paved way for his career as a musicologist. In time, he also collected musical compositions, rare ragas from all the traditions he was associated with, through his career.
He established the Deodhar School of Music in Mumbai, breaking from the Gharana tradition.
He also edited Hindi music monthly magazine, Sangeet Kala Vihar, and also published several books on music and musicians.
In 1964, he was awarded the Sangeet Natak Akademi Fellowship the highest honour conferred by Sangeet Natak Akademi, India's National Academy for Music, Dance and Drama. This was followed by Padma Shri, by Government of India in 1976.
Amongst his noted disciples, were singer Kumar Gandharva, Saraswati Rane and Laxmi Ganesh Tewari. In 1993, his monthly columns, in Sangeet Kala Vihar, which included biographies of 19th-century Indian musicians, were published as book, Pillars of Hindustani Music.
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🇮🇳 *Famous Iconic speech of Swami Vivekananda — 11 सितम्बर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का दुनियाँ को पाठ पढ़ाया* 🇮🇳
अब तक आयोजित सर्वाधिक पवित्र सभाओं में से वर्तमान धर्म सम्मेलन एक है। अपने आप में गीता में वर्णित इस अद्भुत सिद्धांत का प्रमाण है, विश्व के समक्ष एक घोषणा है : *"जो कोई भी, किसी भी रूप में, मुझ तक आता है, मैं उस तक पहुँचता हूँ; सभी मनुष्य उन मार्गों से संघर्ष कर रहे हैं जो अंततः मुझे ही प्राप्त होते हैं।"*
संप्रदायवाद, कट्टरता और उसके भयानक वंशज, धर्मांधता, इस सुंदर पृथ्वी पर लंबे समय से व्याप्त हैं। उन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है, इसे बार-बार मानव रक्त से नहलाया है, सभ्यताओं का विनाश किया है और पूरे-पूरे राष्ट्रों को निराशा में धकेल दिया है। यदि ये भयानक राक्षस न होते, तो मानव समाज आज की तुलना में कहीं अधिक उन्नत होता। लेकिन उनका समय आ गया है और मुझे पूरी आशा है कि आज सुबह इस सम्मेलन के सम्मान में जो घण्टा बजा, वह समस्त धर्मांधता, तलवार या कलम से होने वाले सभी उत्पीड़नों और एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर व्यक्तियों के बीच की *सभी द्वेषपूर्ण भावनाओं का मृत्यु-घण्टा हो.......*
11 सितम्बर 1893 की ही वह तारीख थी जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो, अमरीका की धर्म संसद में यह ऐतिहासिक भाषण दिया था।
स्वामी विवेकानंद के इस सारगर्भित भाषण ने पूरी दुनियाँ के सामने भारत की एक मजबूत छवि पेश की थी।
👇 *उक्त खास भाषण में स्वामी विवेकानंद ने जो कहा उसका बिन्दुवार सार संक्षेप* 👇
❗️ *अमरीकी भाइयों और बहनों* ‼️
1️⃣ आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनियाँ की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूँ। सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
2️⃣ मैं इस मंच पर बोलने वाले कुछ वक्ताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने यह ज़ाहिर किया कि दुनियाँ में सहिष्णुता का विचार पूरब के देशों से फैला है।
3️⃣ मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूँ जिसने दुनियाँ को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं।
4️⃣ मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूँ जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताये गये लोगों को अपने यहाँ शरण दी। मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।
5️⃣ मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है।
6️⃣ मैं इस मौके पर वह श्लोक सुनाना चाहता हूँ जो मैंने बचपन से याद किया और जिसे रोज़ करोड़ों लोग दोहराते हैं. ''जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियाँ, अलग-अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है। ये रास्ते देखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सब ईश्वर तक ही जाते हैं।"
7️⃣ मौजूदा सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, वह अपने आप में गीता में कहे गए इस उपदेश इसका प्रमाण है: ''जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं. लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुँचते हैं....''
8️⃣ सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है। उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है. न जाने कितनी सभ्याताएं तबाह हुईं और कितने देश मिटा दिये गये।
9️⃣ यदि ये ख़ौफ़नाक राक्षस नहीं होते तो मानव समाज कहीं ज़्यादा बेहतर होता, जितना कि अभी है लेकिन उनका वक़्त अब पूरा हो चुका है। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन का बिगुल सभी तरह की कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश करने वाला होगा। चाहे वह तलवार से हो या फिर कलम से।
On this day in 1893, Swami Vivekananda delivered his famous iconic speech at the World’s Parliament of Religions in Chicago USA.
Speech delivered by Swami Vivekananda on 11 September 1893, at the first World’s Parliament of Religions on the site of the present-day Art Institute :
❗️ “Sisters and Brothers of America ‼️
It fills my heart with joy unspeakable to rise in response to the warm and cordial welcome which you have given us. I thank you in the name of the most ancient order of monks in the world, I thank you in the name of the mother of religions, and I thank you in the name of millions and millions of Hindu people of all classes and sects.
My thanks, also, to some of the speakers on this platform who, referring to the delegates from the Orient, have told you that these men from far-off nations may well claim the honor of bearing to different lands the idea of toleration. I am proud to belong to a religion which has taught the world both tolerance and universal acceptance. We believe not only in universal toleration, but we accept all religions as true. I am proud to belong to a nation which has sheltered the persecuted and the refugees of all religions and all nations of the earth. I am proud to tell you that we have gathered in our bosom the purest remnant of the Israelites, who came to Southern India and took refuge with us in the very year in which their holy temple was shattered to pieces by Roman tyranny. I am proud to belong to the religion which has sheltered and is still fostering the remnant of the grand Zoroastrian nation. I will quote to you, brethren, a few lines from a hymn which I remember to have repeated from my earliest boyhood, which is every day repeated by millions of human beings: “As the different streams having their sources in different paths which men take through different tendencies, various though they appear, crooked or straight, all lead to Thee.”
The present convention, which is one of the most august assemblies ever held, is in itself a vindication, a declaration to the world of the wonderful doctrine preached in the Gita: “Whosoever comes to Me, through whatsoever form, I reach him; all men are struggling through paths which in the end lead to me.” Sectarianism, bigotry, and its horrible descendant, fanaticism, have long possessed this beautiful earth. They have filled the earth with violence, drenched it often and often with human blood, destroyed civilization and sent whole nations to despair. Had it not been for these horrible demons, human society would be far more advanced than it is now. But their time is come; and I fervently hope that the bell that tolled this morning in honor of this convention may be the death-knell of all fanaticism, of all persecutions with the sword or with the pen, and of all uncharitable feelings between persons wending their way to the same goal.







































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