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*उत्तरकाशी प्रशासन की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*
उत्तरकाशी, 21 सितंबर 2025 (सूचना)
जिलाधिकारी प्रशान्त आर्य ने रविवार को अधिकारियों के साथ आपदा से क्षतिग्रस्त गंगोरी-अगोड़ा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का स्थलीय निरीक्षण कर जायजा लिया। जिलाधिकारी ने चिंवा,नौगांव,डिंगला पुल,संगमचट्टी,गजोली गांव के समीप एवं गियांगाड़ का निरीक्षण करते हुए आपदा से क्षतिग्रस्त सड़क मार्ग के सुधारीकरण और मोटर पुलों के सुरक्षात्मक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करने के साथ ही समयबद्धता औऱ गुणवत्ता के साथ कार्य करने के निर्देश पीएमजीएसवाई को दिए।
जिलाधिकारी ने प्रसिद्ध पर्यटक स्थल डोडीताल की आगामी यात्रा के दृष्टिगत संगमचट्टी और अगोड़ा से डोडीताल ताल तक के ट्रेक मार्ग का भौतिक परीक्षण कर मरम्मत कार्यों की आवश्यकता का आंकलन करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने जिला पर्यटन विकास अधिकारी एवं प्रभागीय वनाधिकारी को संयुक्त टीम गठित कर ट्रेक मार्ग का निरीक्षण करने के उपरांत शीघ्र मरम्मत कार्य शुरु कराने के निर्देश दिए।जिलाधिकारी ने पीएमजीएसवाई को सड़क मार्ग को आवागमन के लिए सुरक्षित और सुगम बनाने के निर्देश दिए। तथा आम जनमानस की सुरक्षा और सुविधा सर्वोपरि का ध्येय रखते हुए इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नही बरतने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान जिला पर्यटन विकास अधिकारी केके जोशी,अपर सहायक अभियंता पीएमजीएसवाई शिवराज रावत, सहायक अभियंता शार्दूल असवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दूल गुसाई सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
स्वास्थ्य विभाग उत्तरकाशी
21 सितंबर 2025
> *"स्वस्थ नारी – सशक्त परिवार अभियान के तहत जनपद उत्तरकाशी में वृहद रक्तदान शिविर एवं स्वास्थ्य शिविर – आज तक कुल 13907 लोगों की हुई स्वास्थ्य जांच"
जनपद में रविवार को "स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान" के अंतर्गत जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी में वृहद रक्तदान शिविर का सफल आयोजन किया गया। रक्तदान शिविर का विधिवत शुभारंभ मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष श्री भूपेंद्र चौहान द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी एस रावत, प्रमुख अधीक्षक डॉ पी एस पोखरियाल एवं ब्लड बैंक के समस्त स्टाफ मौजूद रहे। बड़ी संख्या में लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान हेतु पंजीकरण कराया और रक्तदान कर अभियान को सफल बनाया। रक्तदान शिविर में 7 रक्तदाताओं द्वारा रक्तदान किया गया जबकि 76 लोगों जिनमें से 25 महिलाएं वा 51 पुरुषों द्वारा रक्तदान के लिए अपना पंजीकरण करवाया। रक्तदान के उपरांत नगरपालिका अध्यक्ष, मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं प्रमुख अधीक्षक द्वारा रक्तदाताओं को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि पखवाड़े के दौरान प्रत्येक दिन रक्तदान वा रक्तदान हेतु पंजीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है साथ ही जनपद के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त जनपद में विशेषज्ञ चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी किया जा रहा है जिनमें दून मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा महिलाओं एवं आमजन को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श, आवश्यक जाँच, उपचार एवं दवाइयां निशुल्क उपलब्ध करायी जा रही हैं। विशेषज्ञ चिकित्सा शिविरों में समाज कल्याण विभाग के सहयोग से दिव्यागजनों को दिव्यांग प्रमाण पत्र वा सहायक उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उक्त पखवाड़े के तहत 02 अक्टूबर तक जनपद में नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे।
अभियान की शुरुआत से लेकर आज तक कुल 13907 लोगों की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है। जबकि आज हुए स्वास्थ्य शिविरों में 556 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई । 240 लोगों की उच्च रक्तचाप, 227 लोगो की शुगर, 109 लोगो की हीमोग्लोबिन जांच वा 06 लोगो की टी बी जांच आदि सेवाएं प्रदान की गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों, स्वास्थ्य कर्मियों एवं रक्तदाताओं का धन्यवाद व्यक्त किया और जनपदवासियों से ऐसे आयोजनों में सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया।
स्वास्थ्य विभाग उत्तरकाशी
22 सितंबर 2025
> *"वृहद विशेषज्ञ चिकित्सा शिविर चिन्यालीसौड़ में 437 लोगों की स्वास्थ्य जांच।"*
> *" शिविर में 59 दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र निर्गत किए गए"*
> *"शिविर में ब्लॉक प्रमुख चिन्यालीसौड़ द्वारा टी बी उन्मूलन कार्यक्रम में निक्षय मित्र बनकर 10 टी बी मरीजों को लिया गोद।"*
सोमवार को सेवा पर्व के अवसर पर "स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के तहत" सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ में वृहद विशेषज्ञ चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का विधिवत शुभारंभ दर्जधारी राज्यमंत्री उत्तराखंड सरकार श्री रामसुंदर नौटियाल, ब्लॉक प्रमुख श्री रणवीर महंत एवं नगरपालिका अध्यक्ष श्री मनोज कोहली की गरिमामय उपस्थित में किया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी एस रावत, समाज कल्याण अधिकारी श्री सुधीर जोशी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ विनोद कुकरेती, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एन एच एम हरदेव राणा, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक अनुज नौटियाल, ज्ञानेंद्र पंवार, सीमा अग्रवाल, बलवंत राणा आदि उपस्थित रहे।
शिविर में दून मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा 437 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई जिनमें से 14 महिलाओं की ए एन सी जांच, 96 लोगो की हीमोग्लोबिन जांच,
85 लोगों की उच्च रक्तचाप, 85 लोगों की शुगर स्क्रीनिंग जबकि 76 लोगों की टी बी जांच की गई एवं 35 लोगों द्वारा रक्तदान हेतु पंजीकरण कराया गया। शिविर में जांच के साथ उपचार, स्वास्थ्य परामर्श एवं निशुल्क दवाईयां वितरित की गई। किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 40 किशोरियों को काउंसलिंग के साथ - साथ सेनेटरी नेपकिन भी निःशुल्क वितरित किए गए।
ब्लॉक प्रमुख द्वारा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत निक्षय मित्र बनकर 10 टी बी के मरीजों को गोद लिया गया
शिविर में समाज कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांग शिविर भी आयोजित किया गया, जिसमें 59 दिव्यांगजनों को दिव्यांग प्रमाण पत्र तथा सहायक उपकरण वितरित किए गए। शिविर में बड़ी संख्या में लाभार्थियों ने पहुँचकर स्वास्थ्य सेवाओं का समुचित लाभ उठाया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि उक्त पखवाड़े के तहत आज चिन्यालीसौड़ में विशेषज्ञ चिकित्सा शिविर का आयोजन हो रहा है इसके अलावा जनपद के सभी चिकित्सा इकाइयों में नियमित रूप से शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त चिकित्सा स्वास्थ्य शिविरों का मुख्य उद्देश्य जनपद के सभी ब्लॉक के आम जनमानस को गुणवत्तापूर्ण निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। *"इसी कड़ी में कल मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव में वृहद विशेषज्ञ चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाएगा।"*
🛑 उत्तरकाशी, 22 सितंबर 2025
*जिलाधिकारी ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना और पं. दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना की अनुश्रवण समिति की ली बैठक*
*योजनाओं के लिए इच्छुक आवेदकों के लिए गए साक्षात्कार*
*जिलाधिकारी ने आवेदकों को पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखने और स्थानीय संस्कृति का प्रचार–प्रसार का दिया सुझाव*
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित सभागार में पर्यटन विभाग द्वारा संचालित ’दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास होम स्टे' और 'वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना' के तहत जिला स्तरीय योजना क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति की अध्यक्षता की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी ने विभिन्न योजनाओं के लिए इच्छुक आवेदकों के साक्षात्कार लिए। इस दौरान जिलाधिकारी ने आवेदनों की गहन समीक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक का मुख्य उद्देश्य पर्यटन विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के लिए पात्र लाभार्थियों का चयन करना था। जिलाधिकारी ने व्यक्तिगत रूप से आवेदक से बातचीत कर उनके प्रस्तावों की जानकारी ली। ‘होम स्टे‘ योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घर को होमस्टे के रूप में विकसित करने के इच्छुक आवेदकों से साक्षात्कार किया गया। जिलाधिकारी ने उन्हें होमस्टे के संचालन, पर्यटकों की सुविधा, पार्किंग और स्थानीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव दिए और योजनाओं के नियमानुसार कारवाई करने के निर्देश दिए।
'वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना' के अंतर्गत पर्यटन से संबंधित व्यवसायों जैसे कि टैक्सी सेवा, गेस्ट हाउस निर्माण और साहसिक गतिविधियों के लिए ऋण लेने के इच्छुक आवेदकों के प्रस्तावों पर विचार किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों की आजीविका और पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसर पैदा करने के लिए इस प्रकार की योजनाएं बहुत ही लाभप्रद हैं।
बैठक में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत वर्ष 2025-26 के लिए वाहन मद में 12, गैर वाहन मद में 08 सहित कुल 20 जबकि पं. दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2025-26 के लिए लक्षित कुल 28 आवेदनों के सापेक्ष साक्षात्कार लिए गए।
जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे पात्र आवेदकों के आवेदन पत्रों की गहनता से जांच करे और त्रुटियों के संबंध में उनके निस्तारण करने के सुझाव देते हुए योजना से लाभान्वित किया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि आवेदकों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
बैठक में सीडीओ एसएल सेमवाल, डीटीडीओ केके जोशी, जीएम डीआईसी शैली डबराल, एआरटीओ रत्नाकर सिंह सहित विभिन्न बैंकों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

जिलाधिकारी कार्यालय से प्राप्त सूचनानुसार शहीद सम्मान यात्रा 2.0 का आयोजन किया जा रहा है। जिसके संबंध में जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया है कि आगामी दिनांक 30 सितम्बर 2025 को जनपद उत्तरकाशी के ग्राम बगासू विकासखण्ड नौगांव एवं दिनांक 01 अक्टूबर 2025 को विकासखण्ड चिन्यालीसौड ग्राम कुमराड़ा के प्राथमिक विद्यालय के छात्र–छात्राओं द्वारा शहीद के घर पर आंगन की मिटटी एकत्र की जायेगी। दिनांक 30 सितंबर 2025 को प्रातः 11 बजे तथा 03 अक्टूबर 2025 को 12 बजे कलेक्ट्रेट परिसर में 20 एन.सी.सी कैडेट्स फ्लैगऑफ कार्यक्रम का मा. विधायक और जिलाधिकारी प्रशांत आर्य द्वारा किया जाएगा।आज दिनांक 22. 09. 2025 को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कलस्टर - कुमोला एवं मेहरगांव में सफलपूर्वक आयोजित किया गया।
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*स्नातक स्तरीय परीक्षा को लेकर उत्तरकाशी पुलिस मुस्तैद*
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आज 21सितम्बर 2025 को विभिन्न पदों हेतु आयोजित करवायी जा रही "स्नातक स्तरीय परीक्षा" को लेकर उत्तरकाशी पुलिस मुस्तैद है। *पुलिस उपाधीक्षक उत्तरकाशी, श्री जनक सिंह पंवार एवं पुलिस उपाधीक्षक बड़कोट श्री देवेन्द्र सिंह नेगी द्वारा परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण तथा पुलिस ड्यूटी को चैक कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया।* परीक्षा ड्यूटी मे नियुक्त पुलिस बल को अलर्ट रहते हुये परीक्षा को पूर्णतया पारदर्शी तरीके से सम्पन्न करवाने की हिदायत दी गयी।
जनपद उत्तरकाशी मे 20 परीक्षा केन्द्रो पर आयोजित उक्त परीक्षा को पारदर्शी एवं सकुशल सम्पन्न करवाने के हेतु 2 सुपर जोन, 3 जोन व 7 सेक्टर में विभाजित किया गया है। परीक्षा केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल नियुक्त किया गया है। प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर पुलिस की टीमों द्वारा सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। चैकिंग व फ्रिस्किंग के उपरांत ही अभ्यार्थियों को प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
*SP उत्तरकाशी द्वारा किया गया परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण।*
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आज 21 सितम्बर 2025 को विभिन्न पदों हेतु आयोजित करवायी जा रही "स्नातक स्तरीय परीक्षा" को सकुशल एवं पारदर्शी तरीके से सम्पन्न करवाने के लिये उत्तरकाशी पुलिस के जवानों द्वारा परीक्षा केंद्रों पर तत्परता के साथ ड्यूटी का निर्वहन किया जा रहा है।
*पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी, श्रीमती सरिता डोबाल* द्वारा स्वयं जिला मुख्यालय मे स्थित परीक्षा केन्द राजकीय आदर्श कीर्ति इंटर कॉलेज का निरीक्षण कर सुरक्षा एवं परीक्षा के इंतजामों का जायजा लिया गया।
पुलिस द्वारा सभी केन्द्रो पर सावधानी बरतते हुये महिला एवं पुरूष अभ्यर्थियों की अलग-अलग कतार लगाने के बाद सभी अभ्यर्थियों की HHMD से सघन चेकिंग/फ्रिस्किंग के पश्चात अभ्यार्थियों को परीक्षा कक्ष मे जाने की अनुमति दी गयी। परीक्षा के दौरान सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। सभी केन्द्रो पर परीक्षा पूर्णतया पारदर्शी तरीके से संचालित हो रही है।
*धरासू पुलिस ने 1 वारंटी की किया गिरफ्तार।*
वांछित अपराधी /वारंटीयों की गिरफ्तारी हेतु उत्तरकाशी पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान के अंतर्गत थाना धरासू पुलिस की टीम द्वारा धारा 125 (3) दंड प्रक्रिया संहिता से संबंधी वाद मे माननीय न्यायालय अपर प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय ऋषिकेश, देहरादून द्वारा जारी वारंट से सम्बंधित वारंटी अभियुक्त कृष्ण चंद्र रमोला पुत्र स्व0 दिल चंद रमोला निवासी पीपल मंडी चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी(40 वर्ष) को गिरफ्तार कर आज माननीय न्यायलय ऋषिकेश के समक्ष प्रस्तुत किया गया, माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्त को जिला कारागार सुद्धोवाला न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया।
*पुलिस टीम*
1. उपनिरीक्षक बृजपाल सिंह, प्रभारी चौकी ब्रह्मखाल
2. हे0कानि0 मुरारी सिंह।*पैरोल से फरार शातिर अभियुक्त को उत्तरकाशी पुलिस ने किया गिरफ्तार, कोरोना महामारी के दौरान टिहरी कारागार से पैरोल पर किया गया था रिहा।*
*पैरोल समाप्ति के बाद अभियुक्त आत्मसमर्पण न कर चल रहा था फरार*
जनपद उत्तरकाशी के *कोतवाली उत्तरकाशी, थाना धरासू व बडकोट में चोरी के प्रकरण में गिरफ्तार अभियुक्त कीर्तीलाल पुत्र शिवदास निवासी पुजार गांव पट्टी धनारी डुंडा उत्तरकाशी को वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान जिला कारागार नई टिहरी द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन मे मार्च 2020 को पैरोल पर रिहा किया गया था,* पैरोल अवधि समाप्त होने के उपरांत उक्त अभियुक्त को जिला कारागार नई टिहरी में आत्मसमर्पण करना था, अभियुक्त आत्मसमर्पण न कर गिरफ्तारी से लगातार बच रहा था, मा0 न्यायालय के आदेशानुसार अभियुक्त के घर की कुर्की की प्रक्रिया की गई थी । वर्ष 2021 में उक्त अभियुक्त के विरुद्ध मु0 न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्तरकाशी द्वारा स्थाई वारंट जारी किया गया था।
*श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन में *पुलिस उपाधीक्षक उत्तरकाशी श्री जनक सिंह पंवार* के निकट पर्यवेक्षण में कोतवाली उत्तरकाशी व धरासू पुलिस की टीम अभियुक्त कीर्तिलाल की गिरफ्तारी हेतु लगातार सम्भावित स्थानों पर तलाश कर रही थी । *प्रभारी निरीक्षक उत्तरकाशी श्रीमती भावना कैंथोला* के नेतृत्व में कोतवाली उत्तरकाशी टीम द्वारा सुरागरसी-पतारसी करते हुये सटीक जानकारी एकत्र कर *कल दिनांक 21.09.2025 को अभियुक्त कीर्ति लाल को प्रेम नगर देहरादून से गिरफ्तार किया गया है। आज अभियुक्त अभियुक्त को मा0 न्यायालय उत्तरकाशी के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।*
अभियुक्त शातिर प्रवृति का है, गिरफ्तारी से बचने हेतु अभियुक्त अपनी पहचान छिपाकर देहरादून व अन्य जगहों पर काम करता था। अभियुक्त के विरुद्ध जनपद पौडी गढवाल के कोतवाली कोटद्वार में भी धारा 379/411 भादवि का मुकदमा पंजीकृत है।
*श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया द्वारा गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम की सराहना करते हुये टीम को 5000 रु0 की धनराशि से पुरस्कृत किया गया।*
*पुलिस टीम-*
1- उ0नि0 प्रकाश राणा – चौकी प्रभारी डुण्डा
2- हे0कानि0 गजपाल
3- हे0कानि0 महिमाल
*मोरी पुलिस ने खोये हुये 5 मोबाईल फोन बरामद कर लौटाए वापस।*
थाना मोरी पुलिस द्वारा खोये हुये 05 मोबाईल फोन को बरामद कर कल दिनांक 21.09.2025 को फोन स्वामियों को वापस लौटाए गये हैं। फोन स्वामियों द्वारा मोबाइल खोने के सम्बन्ध में CEIR Portal पर शिकायत दर्ज करवायी गयी थी, मोबाईल फोन को मोरी पुलिस द्वारा ट्रेस व बरामद करने के उपरान्त उन्हें वापस लौटाये गये हैं।
*सेवा पखवाडाः- बहुउद्देशीय शिविर में पुलिस ने प्रदर्शनी लगाकर आमजन को किया जागरुक*
जनपद में सेवा पखवाडा थीम के अंतर्गत दिनांक 17.09.2025 से दिनांक 02.10.2025 तक आयोजित *स्वच्छता ही सेवा/सेवा पखवाड़ा अभियान एवं पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।* आज 22 सितम्बर 2025 को जिला प्रशासन के तत्वधान में चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के अंतर्गत *सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चिन्यालीसौड़* मे आयोजित बहुउद्देशीय शिविर में *श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदया उत्तरकाशी* के निर्देशन में *प्रभारी निरीक्षक धरासू श्री दिनेश कुमार के नेतृत्व* में धरासू पुलिस द्वारा प्रदर्शनी लगाकर आमजनमानस को साइबर अपराध, नशे के दुष्प्रभाव एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरुक करते हुये डायल 112 तथा साइबर हेल्पलाईन 1930 की उपयोगिता के बारे में बताया गया साथ ही सभी को नये आपराधिक कानूनों की जानकारियां भी दी गयी तथा जनजागरुकता पम्पलेट वितरित किये गये।
*हर्षिल पुलिस ने जानी क्षेत्र के वरिष्ट नागरिकों की कुशलक्षेम, साइबर अपराध एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों के प्रति किया सजग*
*श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन मे उत्तरकाशी पुलिस द्वारा 'कम्युनिटी पुलिसिंग' के अंन्तर्गत गांव-गांव जाकर ग्रामीणों एवं सीनियर सिटीजन से लगातार सम्पर्क साधा जा रहा है। आज 22.09.2025 को *थानाध्यक्ष हर्षिल श्री दीपक रावत* के नेतृत्व में *हर्षिल पुलिस द्वारा ग्राम मुखवा व झाला में जाकर गांव के सीनियर सिटीजन की कुशलक्षेम पूछते हुये समस्याओं को सुना गया।* सभी को साईबर अपराध/डिजिटल अरेस्ट, नशा एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरुक किया गया । इस दौरान पुलिस टीम द्वारा एकल रुप से रह रही 03 बुजुर्ग माताओं को राशन किट भी वितरित की गयी।
*जनपद अन्तर्गत वर्तमान में मार्गों की स्थिति का विवरण- दूरभाष से प्राप्त सूचना अनुसार।
*1-* गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
*2-* यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
*3-* बड़कोट-डामटा-विकास नगर राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू हैं।
*4-* उत्तरकाशी-लम्बगांव-घनशाली तिलवाड़ा मोटर मार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
*5 -ऋषिकेश चंबा नरेंद्रनगर मोटर मार्ग फकोट के पास मालवा व पत्थर आने के कारण मार्ग बाधित होने की सूचना है।
टिहरी कंट्रोल रूम द्वारा बताया जा रहा है मार्ग लगभग 1 घंटे में खुलने की संभावना है।
*6-* मसूरी सुवाखोली, मोरीयाना,मोटर मार्ग छोटे वाहनों हेतु सुचारू है।
Deoc यूकी
*Daily Rain & Weather Status | 22-09-2025*
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🌧️ *Rainfall (Tehsil-wise, mm)*
*HQ* –00.00 | *Bhatwari* 00.00 | *Dunda* –00.00 | *Chinyalisaur* –00.00 | *Barkot* –00.00 | *Purola* 00.00 | *Mori* –00.00
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🌦️ *Weather Condition*
Sunny weather across all tehsils of the district ☀️"
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*🚧 Road Status*
1️⃣ *Gangotri NH –* ✅The road from Nagun-Chinyalisour to Gangotri is clear.
2️⃣ *Yamunotri NH –*✅ Open for traffic, no blockage reported.
3️⃣ *Barkot–Damta–Vikasnagar Road –* ✅ Open for traffic, no blockage reported.
4️⃣ *Uttarkashi–SuwaKholi–Dehradun Road –* ✅ Motorable only for light vehicles.
5️⃣ *Uttarkashi–Lambgaon Road –* ✅ Open, no closure reported
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*🌊 River Level Status (m)*
*Bhagirathi →* Current: 1118.60| ⚠️ Alert: 1122.00 | 🚨 Danger: 1123.00
*Yamuna →* Current: 1058.37 | ⚠️ Alert: 1058.50 | 🚨 Danger: 1060.00
*Tons →* Current: 1266.67 | ⚠️ Alert: 1266.78 | 🚨 Danger: 1268.00
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📌 *District Emergency Operation Centre (DEOC), Uttarkashi **
*"जनहुंकार" एपिसोड में देखिए ज्ञानवर्धक विश्लेषण GANAG 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा के साथ=8126216516*⚛️ 🔯 ✡️ 🕉️ ✡️ 🔯 ⚛️
🗳 *Vote — Day of Democracy — लोकतंत्र दिवस* 🗳
( 15 September 2008 )
*International Day of Democracy — अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस*
*“लोकतंत्र जनता का, जनता के लिये, जनता द्वारा है।”*
~ अब्राहम लिंकन
हर साल 15 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य देश अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाते हैं। यह दिन हमें दुनियाँ भर में लोकतंत्र की स्थिति पर विचार करने के लिये प्रेरित करता है।
15 सितंबर 2007 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस घोषित किया। उन्होंने सभी सदस्य देशों और संगठनों से इस दिन को इस तरह मनाने का भी आग्रह किया जिससे जन जागरूकता बढ़े।
*स्वतंत्रता के मूल्य और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान, लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग हैं।*
*लोकतंत्र में, मानव अधिकारों की रक्षा एक प्राकृतिक वातावरण में होती है। लोकतंत्र में सभी के लिये समान भागीदारी और समान व्यवहार शामिल है। शांति और सतत विकास भी लोकतंत्र के अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व हैं।*
❗️ *लोकतंत्र दिवस की आवश्यकता* ‼️
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मानवाधिकार, समानता और संघर्ष समाधान जैसे वैश्विक मुद्दों पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारी अपनी स्वतंत्रता पर चिंतन करने के साथ-साथ उन लोगों को भी याद करने का अवसर है जो कम भाग्यशाली हैं।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस लोकतंत्र में जन भागीदारी के महत्व पर जोर देता है, साथ ही लोगों को अधिक प्रतिनिधि सरकार के लिये मिलकर काम करने हेतु प्रोत्साहित और प्रेरित करता है।
*लोकतंत्र के 5 आधारभूत लाभ*
*नागरिकों के हितों की रक्षा*
लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोग अपनी रुचि के अनुसार मतदान करते हैं।
*कानून की नजर में सभी लोगों की समानता की रक्षा करना*
लोकतंत्र समाज के सभी वर्गों के लोगों सहित सभी को कानून के समक्ष समान होने की शक्ति देता है।
*सत्ता के दुरुपयोग को रोकना*
लोकतंत्र किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध सत्ता के प्रयोग को रोकता है, व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है और सभी की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। लोकतंत्र में सत्ता का बँटवारा होने से सूचना का मुक्त प्रवाह होता है।
लोकतंत्र में ऐसे नियम और कानून होते हैं जो स्थिरता प्रदान करते हैं और
*मानवाधिकारों की रक्षा*
लोकतंत्र समाज में स्थिरता प्रदान करके मानवाधिकारों का हनन रोकता है। लोकतंत्र का एक प्रमुख सिद्धांत यह है कि कानून की नज़र में सभी समान हैं। लोकतंत्र न केवल बहुसंख्यकों के बल्कि व्यक्तिगत मानवाधिकारों का भी सम्मान करता है।
*देश में आंतरिक शांति स्थापित करना*
लोकतंत्र देश में शांति और सद्भाव बनाये रखने में मदद करता है क्योंकि इसमें सत्ता का समान वितरण होता है। इससे नागरिकों और सांसदों को सूचना का पारदर्शी और मुक्त प्रवाह स्थापित करने में मदद मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र का जन्म 508 ईसा पूर्व ग्रीस में हुआ था।
लोकतंत्र दो ग्रीक शब्दों से बना है : *डेमोस = लोग और क्रेटोस = शासन।*
प्रतिनिधि लोकतंत्र निर्वाचित प्रतिनिधियों से बनता है जो मतदान करते हैं, जबकि प्रत्यक्ष लोकतंत्र सभी को महत्वपूर्ण मामलों पर मतदान करने की अनुमति देता है।
एक लोकतांत्रिक सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त और जनता के हित में कार्य करे।
लोकतांत्रिक प्रणाली बहुत सफल है लेकिन बड़ी आबादी में इसे प्रबंधित करना कठिन है।
*इस अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर आइये डेमोक्रेटिक इंडेक्स स्कोर पर नजर डालें*
लोकतांत्रिक सूचकांक स्कोर की गणना करते समय मुख्यतः पाँच श्रेणियों को ध्यान में रखा जाता है। ये श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं :
*डेमोक्रेटिक इंडेक्स स्कोर*
इस अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर, आइये हम 5 सर्वाधिक लोकतांत्रिक देशों पर नजर डालें। निम्नलिखित देश विश्व के सबसे लोकतांत्रिक देश हैं।
*देश* *लोकतांत्रिक सूचकांक*
नॉर्वे — 9.87%
आइसलैंड — 9.58%
स्वीडन — 9.39%
न्यूज़ीलैंड — 9.26%
फिनलैंड — 9.25%
उपरोक्त देश वे शीर्ष 5 देश हैं जिनका लोकतांत्रिक सूचकांक सबसे ऊँचा माना जाता है। हालाँकि भारत को दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है लेकिन ऊपर दिये गये इन 5 देशों का लोकतांत्रिक सूचकांक सबसे ऊँचा है।
*लोकतंत्र का वैश्विक ह्रास*
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर आइये देखें कि विश्व में लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व किस प्रकार किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में विश्व लोकतंत्र की चिंताजनक स्थिति लोकतंत्र की वैश्विक गिरावट को दर्शाती है।
बुनियादी मानवाधिकारों से संबंधित हालिया मुद्दे लोकतंत्र में गिरावट और भारी गिरावट को दर्शाते हैं।
*लोकतंत्र में गिरावट का सबसे अधिक प्रभाव चुनावी प्रक्रियाओं पर पड़ रहा है, उसके बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर।*
वर्ष 2020 में, जब विश्व एक घातक वायरस, आर्थिक और भौतिक अस्थिरता तथा हिंसक संघर्ष से त्रस्त था, लोकतंत्र के रक्षकों को सत्तावादी विरोधियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में महत्वपूर्ण अतिरिक्त असफलताओं का सामना करना पड़ा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संतुलन अत्याचार के पक्ष में झुक गया।
दीर्घकालिक लोकतांत्रिक पतन के परिणाम तेज़ी से वैश्विक होते जा रहे हैं और इसका असर सबसे क्रूर तानाशाही शासन में रहने वालों और लंबे समय से स्थापित लोकतंत्रों के निवासियों, दोनों पर पड़ रहा है।
पिछले साल, दुनियाँ की लगभग 75% आबादी ऐसे देश में रहती थी जिसकी हालत बिगड़ रही थी। इस निरंतर गिरावट के परिणामस्वरूप, लोकतंत्र की अंतर्निहित कमज़ोरी के आरोप सामने आये हैं।
हमें भागीदारी के महत्व और प्रभावकारिता को याद रखना चाहिये। सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नागरिकों को सार्थक तरीके से भागीदारी का अवसर मिले।
❓️ *विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकतंत्र क्यों महत्वपूर्ण है* ⁉️
हाल ही में अधिकांश टिप्पणियाँ इस बात पर केन्द्रित रही हैं कि किस प्रकार भारत के संविधान के निर्माण के बाद, देश उद्योग-आधारित आर्थिक "विकास" के लोकाचार, जो असमानता को बढ़ावा देता प्रतीत होता है, तथा समाजवाद के लोकाचार, जिसका उद्देश्य अपने नागरिकों के बीच सामाजिक-आर्थिक समानता प्राप्त करना है, के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
यदि भारत प्रत्यक्ष लोकतंत्र या राष्ट्रपति प्रणाली की शासन प्रणाली के कुछ घटकों को अपनाने से लाभान्वित हो सकता है, तो यह सार्वजनिक बहस का विषय हो सकता है। राजनीति और विशाल पूँजी को अलग करने का एक प्रभावी तरीका अपनाना, साथ ही भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ तैयार करना, सही व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। यह निर्विवाद है कि इनमें से किसी भी या इसी तरह के सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करने या लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
यह मानने के पूरे कारण हैं कि भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में विभिन्न समूहों, राजनीतिक दलों, क्षेत्रों और संस्थाओं के बीच निरंतर रस्साकशी चलती रहेगी, और यह उम्मीद करना कि भारत तुरंत, अगर कभी बनेगा भी, तो अवास्तविक है। देश की व्यापक लोकप्रियता और वैधता को देखते हुए, भारत संभवतः राजनीतिक और सामाजिक मान्यताओं के आधार पर अपेक्षाकृत लोकतांत्रिक और अपेक्षाकृत अनुदार, दोनों ही रूपों में विकसित होता रहेगा। दूसरी ओर, भारत का लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था मज़बूत और लचीली बनी रहेगी।
...और इस अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर, हम आप सभी से आग्रह करते हैं कि आप अब्राहम लिंकन के प्रसिद्ध वाक्यांश के अनुसार लोगों के अधिकारों के लिये खड़े हों —
“लोकतंत्र जनता का, जनता के लिये, जनता द्वारा है।”
~ अब्राहम लिंकन
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
Today 15 September is observed as INTERNATIONAL DAY OF DEMOCRACY. The day is celebrated annually around the world to strengthen democracies and highlight its values and principles. Democracy is a form of government that functions with the equal participation of all citizens of a country.
The International Day of Democracy was established after a resolution was passed by the United Nations General Assembly in 2007. According to the Inter-Parliamentary Union (IPU), the resolution was geared towards strengthening and consolidating democracy. The International Day of Democracy was first celebrated in 2008 and since then, numerous parliamentary events have been organised worldwide.
*The idea of celebrating the International Day of Democracy stems from the Universal Declaration on Democracy. It was adopted by the Inter-Parliamentary Council in its 161th session on 16 September 1997.*
According to the Inter-Parliamentary Union, the key elements of democracy include holding free and fair elections at regular intervals and enabling people to express themselves. The elections in a democracy must be based on universal, equal, and secret suffrage to ensure that all citizens choose their representatives in conditions of openness, equality, and transparency that stimulate political competition.
In a democracy, political and civil rights along with the right to vote and the right to be elected are essential. Other features of democracy include the right to freedom of expression and assembly, the right to organise political parties, access to information, and the right to carry out political activities.
Public accountability must be ensured in a democracy. It applies to everyone who holds a public authority, both elected and non-elected, and to all public bodies without exception. The participation of individuals in democratic processes and public life must be done in an
impartial manner without any discrimination.
According to UNESCO, the International Day of Democracy serves as an opportunity to assess the state of democracies in the world. It also gives a chance to highlight the crucial role of parliaments and to celebrate their capability to deliver justice, development, human rights, and peace.
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*🇮🇳 JaiHind 🇮🇳*
🪔 *Martyrs of URI, the Line of Control, India* 🪔
🪔 *2016 में नियंत्रण रेखा के पास स्थित उरी सेक्टर में भारतीय थलसेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकवादी हमला* 🪔
18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित भारतीय थलसेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 19 जवान शहीद हो गये थे।
इस भीषण आतंकवादी हमला में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गये थे। उरी अटैक की सातवीं बरसी से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक और आतंकी हमला हुआ। इन जख्मों के पीछे है बॉर्डर पार से भेजा जाने वाला आतंकवाद है जो वर्तमान प्रधानमंत्री के बयानबाजी के बावजूद बद्किश्मती से अब भी बद्दस्तूर जारी है।
Salutes to the *Martyrs of URI Terrorists Attack on this Day on 18 September 2016,* when there was an attack by four heavily armed terrorists near the town of Uri in the Indian former state of Jammu and Kashmir. It was reported as "the deadliest attack on security forces in Kashmir in two decades". The terrorist group Jaish-e-Mohammed was involved in the planning and execution of the attack. At the time of the attack, the Kashmir Valley region was a centre of unrest.
At around 5:30 a.m. on 18 September, four terrorists attacked an Indian Army brigade headquarters in Uri, near the Line of Control in a pre-dawn ambush. They were said to have lobbed 17 grenades in three minutes. As a rear administrative base camp with tents caught fire, 17 army personnel were killed during the attack. An additional 19-30 soldiers were reported to have been injured. A gun battle ensued lasting six hours, during which all the four militants were killed. Combing operations continued to flush out additional terrorists thought to be alive.
Most of the soldiers killed were from the *10th battalion, Dogra Regiment (10 Dogra) and 6th battalion, Bihar Regiment (6 Bihar).* One of the injured soldiers succumbed to his injuries on 19 September at RR Hospital in New Delhi, followed by another soldier on 24 September, bringing the death toll to 19.
The casualties were primarily believed to have occurred as a result of non-fire retardant transition tents. This was the time of a troops shift, whereby troops from 6 Bihar were replacing troops from 10 Dogra. The incoming troops were housed in tents, which are normally avoided in sensitive areas around the LoC like Uri. The attackers snuck into the camp breaching heavy security and seemed to know exactly where to strike. Seven of the personnel killed were support staff, including cooks and barbers .
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*Manipur merged with India — From a Constitutional Monarchy to Part C State*
*1949 में आज ही के दिन हुआ था भारतीय संघ में मणिपुर का विलय*
( 21 सितंबर 1949 )
*21 सितंबर 1949 को मणिपुर के राजा बोधसिंह को भारी मन से भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करने ही पड़े थे।*
भारत को आजादी मिले 2 साल हो चुके थे। ज्यादातर रियासतें बिना किसी विशेष विरोध के भारत में शामिल हो चुकी थीं। हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर के शासकों ने अलग रहने के कुछ प्रयास किए लेकिन आखिरकार उन्हें भी भारत में शामिल होना ही पड़ा। इसी बीच 23 मार्च 1949 की एक चिट्ठी ने भारत सरकार का ध्यान मणिपुर की तरफ खींचा।
यह चिट्ठी मणिपुर की प्रजा शांति पार्टी ने भारत के प्रधानमंत्री को लिखी थी। इसमें मणिपुर के भारत के साथ विलय पर असहमति जताई गई थी। लिखा था - *"मणिपुर भारत के बाकी राज्यों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएगा। ऐसे में अच्छा होगा कि मणिपुर और भारत दोनों एक-दूसरे के हितों की सुरक्षा करें।"*
इस चिट्ठी के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का ध्यान मणिपुर के विलय की तरफ गया। ठीक 6 महीने बाद *21 सितंबर 1949 को मणिपुर के राजा बोधसिंह को भारी मन से भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करने ही पड़े।*
भारत सरकार ने असम के तत्कालीन राज्यपाल श्रीप्रकाश को मणिपुर पर नजर रखने का जिम्मा दिया था। वे गृह मंत्रालय के सचिव वी.के. मेनन को मणिपुर से जुड़ी हर जानकारी बता रहे थे। मेनन के जरिये ये बातें सरदार पटेल तक पहुँचती थीं।
असम के तत्कालीन राज्यपाल श्रीप्रकाश के सलाहकार *"नारी रुस्तम"* ने अपनी किताब *‘इम्पेरियल्ड फ्रंटियर्स : इंडियाज नॉर्थ-ईस्टर्न बॉर्डरलैंड्स’* में इसका जिक्र किया है। श्रीप्रकाश ने मेनन को बताया था कि मणिपुर के नेता भारत में विलय के विरोध में मुखर हो रहे हैं। मेनन ने उन्हें फौरन बॉम्बे जाकर पटेल से मिलने की सलाह दी थी।
*पटेल के बेडरूम में 10 मिनट की बैठक*
असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश अपने सलाहकार नारी रुस्तम के साथ सरदार पटेल से मिलने बॉम्बे पहुँचे। उस वक्त पटेल बीमार थे और अपने बेडरूम में लेटे हुये थे। पटेल ने दोनों की बातें सुनी और सिर्फ एक सवाल पूछा - *क्या इस समय शिलॉन्ग में कोई ब्रिगेडियर नहीं है?*
10 मिनट की बातचीत में ही पटेल ने अपने सख्त लहजे में साफ इशारा कर दिया कि मणिपुर को सेना के जरिये जल्द से जल्द भारत में मिलाना चाहिये।
बॉम्बे से दोनों नेताओं के असम लौटते ही मणिपुर के भारत में विलय की प्रक्रिया शुरू हो गई। सबसे पहले रुस्तम जी मणिपुर के राजा बोधचंद्र से मिलने इंफाल पहुँचे। यहाँ जब उन्हें भारत में विलय की बात बताई गई तो बोधचंद्र उदास हो गए और रोने लगे।
तय हुआ कि महाराजा बोधचंद्र असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश से बात करने शिलॉन्ग जायेंगे। दरअसल महाराजा बोधचंद्र ने किसी क्राइसिस की स्थिति में अपने रहने के लिये शिलॉन्ग में एक महल बनवा रखा था। शिलॉन्ग में राजा बोधचंद्र और असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश के बीच मीटिंग शुरू होते ही राजा बोधचंद्र के हाथ में विलय का प्रस्ताव थमा दिया गया।
इतिहासकार *वांगम सोमोरजीत* के मुताबिक, शुरुआत में राजा ने अपने मंत्रियों से सलाह लिये बिना विलय पत्र पर दस्तखत करने से मना कर दिया। इसके बाद तुरंत उनके घर को चारों ओर से घेरकर भारतीय सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया। उनकी टेलीफोन और टेलीग्राफ लाइन काट दी गई। बाद में वे दस्तखत के लिये राजी हो गये।
*आखिरकार 21 सितंबर 1949 को बोधचंद्र सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके बाद पार्ट सी का दर्जा देकर मणिपुर में चीफ कमिश्नर रूल लागू किया गया। 1955 में राजा की मौत के बाद मणिपुर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को अलग राज्य का दर्जा मिला।*
*राजा बोधचंद्र भारत में विलय क्यों नहीं चाहते थे*
साल 1800 तक भारत के बड़े हिस्से पर अंग्रेजों ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थीं। इसके बाद अंग्रेजों की नजर नॉर्थ-ईस्ट की तरफ ही गई।
मार्च 1891 में 5 अंग्रेज अधिकारी मणिपुर रिसायत से संधि करने कांगला शहर पहुँचे। तब कांगला मणिपुर की राजधानी हुआ करती थी। इस शहर का नाम यहाँ के स्थानीय देवता *कांगला शा* के नाम पर रखा गया था।
ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज अधिकारियों के प्रस्ताव को सुनकर लोगों ने उन्हें मारकर कांगला शा देवता की दो विशाल मूर्तियों के पास दफना दिया था। जब इसकी सूचना अंग्रेज अफसरों के पास पहुँची तो उन्होंने दल-बल के साथ कांगला पर हमला कर दिया। वहाँ के राजा कुलचंद्र सिंह को कालापानी की सजा देकर अंडमान जेल भेज दिया गया।
इसके बाद अंग्रेज अधिकारियों ने 5 साल के चुराचंद सिंह को मणिपुर की गद्दी सौंप दी और अपने एजेंट के जरिए यहाँ शासन करने लगे। 1941 में चुराचंद का निधन हो गया। उसके बाद राजा बोधचंद्र सिंह को मणिपुर की सत्ता मिली।
1947 में जब भारत आजाद हुआ तो मणिपुर ने जूनागढ़ और हैदराबाद रियासत की तरह भारत में मिलने से मना कर दिया था। उनका मानना था कि भारत और मणिपुर के समाज में काफी अंतर है। ब्रिटिश सरकार ने भी मणिपुर की सत्ता राजा बोधचंद्र को सौंपी थी। वे जब कांगला पहुँचे थे तो उन्हें 18 तोपों की सलामी दी गई थी। यही वजह है कि *मणिपुर का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को नहीं बल्कि 28 अगस्त को मनाया जाता है।*
♀ *मणिपुर ने भारत से भी पहले लागू कर दिया था अपना संविधान* ♂
27 जून 1947 को ही मणिपुर ने अपना संविधान लागू कर दिया था। नये संविधान के मुताबिक 1948 में यहाँ विधानसभा चुनाव कराये गये। *आजाद भारत में पहली बार वयस्क मताधिकार के जरिये मणिपुर में ही चुनाव हुआ।*
चुनाव के बाद महाराजा को राज्य का संवैधानिक प्रमुख बनाया गया था। इसके अलावा छह सदस्यों वाली एक मंत्रिपरिषद का चुनाव राज्य विधानसभा करती थी। महाराजा के परामर्श से एक मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता था।
इस समय मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल तीन साल का होता था। *साथ ही मणिपुर के संविधान में इस बात का जिक्र था कि विधानसभा में पहाड़ी जनजातियों को 36% आरक्षण मिलेगा।*
मणिपुर की विपक्षी काँग्रेस पार्टी संविधान के सख्त खिलाफ थी और उसने मणिपुर के भारत में विलय के लिए आंदोलन चलाया था। *कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हिजाम इराबोट और मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र विलय के सख्त विरोधी थे।*
इतना ही नहीं जब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मणिपुर, कछार, लुशाई पहाड़ और त्रिपुरा को मिलाकर *'पूर्वांचल'* नामक एक नया राज्य बनाने की कोशिश की, तब इराबोट और महाराजा बोधचंद्र दोनों ने इसका जमकर विरोध किया था।
♀ *मणिपुर बनने के 8 साल बाद ही अलग कुकीलैंड के लिए आंदोलन हुआ* ♂
*1972 में मणिपुर पूर्ण राज्य बना।* इसके लगभग 8 साल बाद यानी 1980 के दशक में अलग कुकीलैंड की माँग शुरू हुई। उस वक्त कुकी-जोमी विद्रोहियों का पहला और सबसे बड़ा संगठन *कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ( यानी KNO )* अस्तित्व में आया।
इसके बाद से ही समय-समय पर कुकीलैंड की माँग सामने आती रही है। 2012 में जैसे ही यह पता चला कि अलग तेलंगाना राज्य की माँग मान ली जायेगी। *कुकी स्टेट डिमांड कमेटी यानी KSDC* संगठन ने कुकीलैंड के लिये आंदोलन का एलान कर दिया। KSDC पहले भी समय-समय पर हड़ताल और आर्थिक बंदी का आह्वान करता रहा है। हाईवे को ब्लॉक करता रहा है और सामान को मणिपुर में आने से रोकता रहा है।
मणिपुर से अलग कुकीलैंड की माँग को लेकर नवंबर 2012 में भी KSDC ने अनिश्चित काल के लिए ब्लॉकेड किया था। इस दौरान जरूरी वस्तुयें लेकर मणिपुर जाने वाले ट्रक कई दिनों तक हाईवे पर खड़े रहे थे।
मणिपुर में कुकी जनजातियाँ मुख्य रूप से पहाड़ियों पर रहती हैं। मणिपुर की कुल आबादी लगभग 28.5 लाख है जिनमें 30% कुकी हैं। चुराचाँदपुर उनका मुख्य गढ़ है। चंदेल, कांगपोकपी, तेंगनौपाल और सेनापति जिलों में भी उनकी बड़ी आबादी रहती है।
KSDC और कुकी-जोमी समुदाय के लोगों का कहना है कि आदिवासी क्षेत्र अभी भी भारतीय संघ का हिस्सा नहीं बने हैं। उनके तर्क हैं कि *1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध में मणिपुर के राजा की हार के बाद राज्य एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गया लेकिन कुकी-जोमी की भूमि इस समझौते का हिस्सा नहीं थी।*
KSDC ने यह भी कहा कि *अलग देश की "नगा माँग" के विपरीत वह केवल भारतीय संघ के भीतर एक अलग राज्य की माँग कर रहा है।*
06 मई 2023 को मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के बाद से एक बार फिर मणिपुर से अलग कुकीलैंड की माँग जोर पकड़ रही है। वहाँ मानवीय मूल्यों की भारी अनदेखी की जा रही है। सरकारें भी *"विवेकहीन अंधे धृतराष्ट्र"* की तरह पेश आ रही हैं।
*Manipur merged with India — From a Constitutional Monarchy to Part C State*
Historically, Manipur had a strong sense of nationalism, with its own constitution and representative government established in 1947. However, by 1949, tensions escalated, leading to the Maharaja of Manipur being placed under house arrest and eventually signing the merger agreement
In September 1949, over two years after India got Independence, the fate of Manipur — unlike the other princely states of the Indian subcontinent which had decided which new country they wanted to join — was still unclear. Assam Governor Sri Prakasa and his advisor for tribal affairs, Nari Rustomji, made an urgent trip to Bombay to meet the ailing Sardar Vallabhbhai Patel, head of the States Department, on the advice of V. P. Menon who worked closely with Patel on the integration of the princely states to India after Independence.
Both Patel and Menon spent a great deal of time and thought on the impact that decisions of the larger princely states such as Hyderabad and Kashmir could have upon the postcolonial political situation in India. But Manipur was ‘a small fry’ for the men behind the integration of India. However, when Sri Prakasa and Rustomji explained to Menon the implications of trouble in the border state, where the tribal population was already growing restless, he agreed they must immediately meet Patel and seek his counsel.
In Bombay, Sri Prakasa and Rustomji met Patel in his bedroom. Sitting on the edge of the bed next to the one on which Patel lay, they spoke nervously about the disturbed affairs in the northeastern state. Patel, on the other hand, sat relaxed and quiet, listening and watching the two. Finally, he responded, “Do we not have a brigadier in Shillong?” He said little else after that, but as Rustomji noted in his memoir, “it was clear from the tone of his voice what he meant.” Soon after, they were signaled out of the room by Patel’s daughter Maniben and the conversation was over.
What followed has often been described as unfair coercion to merge the state with India. “All Manipuri narratives of modern history begin with this episode, describing how they were cheated. Most of the policymakers are not even aware of it,” explains Sanjib Baruah, professor of Political Science at Bard College, New York. He explains this history has been the cause of insurgency movements and a lot of popular grievances in the state for almost the entire period of the existence of postcolonial India.
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*Salwa Judum Human Rights activist Prof. Dr. Nandini Sundar Siddarth नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ*
( Born 22 September 1967 )
प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ दक्षिण एशिया की एक उत्कृष्ट सामाजिक मानवविज्ञानी हैं, जिन्होंने पर्यावरणीय संघर्षों, जनजातीय राजनीति पर केंद्र और राज्य की नीतियों के प्रभाव, और समकालीन भारत में निम्नवर्गीय राजनीतिक आंदोलनों से जुड़ी नैतिक अस्पष्टताओं की हमारी समझ में महत्वपूर्ण और मौलिक योगदान दिया है। ये योगदान समकालीन भारत में सांस्कृतिक राजनीति पर औपनिवेशिक शासन की विरासत की उनकी गहरी पकड़ और भारतीय समाज में प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं और सतत संरचनात्मक तनावों के संबंधों की सैद्धांतिक रूप से नवीन समझ पर आधारित हैं।
प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ ने मध्य भारत में जनजातीय राजनीति के अपने विस्तृत अध्ययन को आधुनिक भारत में कानून, नौकरशाही और नैतिकता के अध्ययन के व्यापक दायरे में रखा है। ऐसा करते हुये, उन्होंने उन समाजशास्त्रीय बहसों में नवीन अनुभवजन्य और नृवंशविज्ञान विधियों और अत्याधुनिक दृष्टिकोणों को जोड़ा है जो आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन को तुलनात्मक सामाजिक सिद्धांत की केंद्रीय बहसों से जोड़ते हैं।
प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ को सामाजिक विज्ञान, सामाजिक नृविज्ञान के लिये, जनजाति और जाति सहित सामाजिक पहचानों और आधुनिक भारत में ज्ञान की राजनीति के एक उत्कृष्ट विश्लेषक के रूप में उनके योगदान के लिये इन्फोसिस पुरस्कार 2010 प्रदान किया गया है।
डाॅक्टर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र की एक भारतीय प्रोफेसर हैं जिनकी शोध रुचियाँ राजनीतिक समाजशास्त्र, कानून और असमानता में हैं। इन्हें 2010 में सामाजिक विज्ञान के लिये इन्फोसिस पुरस्कार और 2016 में विकास अनुसंधान के लिये एस्टर बोसरुप पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।
2007 में, डाॅक्टर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ और अन्य लोगों ने छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम निगरानी आंदोलन के कारण हुये मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की । 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया, सभी प्रभावित लोगों को मुआवज़ा देने और ज़िम्मेदार लोगों की जाँच और अभियोजन का आदेश दिया। इसने विशेष पुलिस अधिकारियों को भंग करने और निरस्त्र करने का भी आदेश दिया, जिनमें से कई नाबालिग युवा थे जिन्हें राज्य ने नक्सलियों से लड़ने के लिए हथियारबंद किया था।
अक्टूबर 2016 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, सुंदर और अन्य द्वारा दायर मामले में, केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने मार्च 2011 में सुकमा ज़िले के तीन गाँवों को जलाने और स्वामी अग्निवेश पर हमले में उनकी भूमिका के लिए सात विशेष पुलिस अधिकारियों और 26 सलवा जुडूम नेताओं के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए। कथित तौर पर इस आगजनी के साथ ग्रामीणों के बलात्कार और हत्याएँ भी हुई थीं।
इसके तुरंत बाद, पुलिस ने सुंदर और अन्य कार्यकर्ताओं के पुतले जलाए और बस्तर पुलिस ने 04 नवंबर 2016 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक आदिवासी शामनाथ बघेल की हत्या में कथित सह-साजिशकर्ता के रूप में उनके खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की। पीड़ित की पत्नी ने एक राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल, एनडीटीवी को बताया कि उसने किसी का नाम नहीं लिया था, पुलिस ने उसकी शिकायत का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि सुंदर और एक अन्य प्रोफेसर संदिग्ध थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जवाबी कार्रवाई के लिये बस्तर रेंज के आईजीपी एसआरपी कल्लूरी और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को तलब किया है और कहा है कि सुंदर और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दौरे और शामनाथ बघेल की हत्या के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार का यह बयान दर्ज किया कि वे सुंदर को गिरफ्तार या जाँच नहीं करेंगे और फैसला सुनाया कि अगर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार कोई जांच करना चाहती है, तो उन्हें चार सप्ताह का नोटिस देना चाहिए, जिस दौरान सुंदर और अन्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। आखिरकार, छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद, फरवरी 2019 में छत्तीसगढ़ पुलिस ने हत्या के मामले से उसका नाम हटा दिया, 'प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी' का हवाला देते हुये।
Wishing professor of Sociology at the Delhi School of Economics, whose research interests include political sociology, law, and inequality Prof. Smt. NANDHINI SUNDAR SIDDARTH on her Birthday today.
Prof. Dr. Nandini Sundar Siddarth is a recipient of the Infosys Prize for Social Sciences in 2010. She was also awarded the Ester Boserup Prize for Development Research in 2016 and the Malcolm Adiseshiah Award for Distinguished Contributions to Development Studies in 2017.
Dr. Nandini Sundar Siddarth obtained a Bachelor of Arts degree in Philosophy, Politics and Economics from Oxford University in 1989 and Master of Arts, Master of Philosophy and Ph.D. in Anthropology from Columbia University in 1989, 1991 and 1995 respectively. She has previously worked at Jawaharlal Nehru University, The Institute of Economic Growth and Edinburgh University. Nandini was editor of Contributions to Indian Sociology from 2007-2011 and serves on the boards of several journals. She has also been a member of the Technical Support Group to draft Rules for the Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2007, as well as served on other working groups in the erstwhile Planning Commission, and NCERT.
In 2007, Nandini along with others filed Public Interest Litigation against Human Rights violations in Chhattisgarh, arising out of the *Salwa Judum* vigilante movement. In 2011, the Supreme Court of India banned Salwa Judum, ordered compensation for all those affected, and investigation and prosecution of those responsible. It also ordered the disbanding and disarming of Special Police Officers, many of whom were underage youth who had been armed by the state to fight Naxalites.
Nandini is married to Siddharth Varadarajan, former Chief Editor of The Hindu and a founding editor of The Wire.
Publications
Selected publications of Sundar include:
The Burning Forest: India's War in Bastar (Juggernaut Press, 2016), The Scheduled Tribes and their India (edited volume, OUP, 2016), Civil Wars in South Asia: State, Sovereignty, Development (Sage 2014, co-edited), Subalterns and Sovereigns: An Anthropological History of Bastar (2nd ed 2007, 1997), Branching Out: Joint Forest Management in India (co-authored, OUP, 2001), Legal Grounds: Natural Resources, Identity and the Law in Jharkhand (edited OUP, 2009), Anthropology in the East: The founders of Indian sociology and anthropology (co-edited, Permanent Black, 2007) A New Moral Economy for India's Forests (co-edited, Sage, 1999)
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