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देहरादून/पौड़ी: उत्तराखंड पुलिस के लिए गर्व का क्षण—राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और पौड़ी के एसएसपी लोकेश्वर सिंह का चयन संयुक्त राष्ट्र (UN) से संबद्ध अंतरराष्ट्रीय संगठन में हुआ है।
यह चयन शांति स्थापना (Peacebuilding), संस्थागत अखंडता (Institutional Integrity) और सतत विकास (Sustainable Development) के क्षेत्र में कार्य करने के लिए किया गया है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारत और उत्तराखंड राज्य के लिए भी गौरवपूर्ण क्षण है।
कठिन चयन प्रक्रिया में हासिल की बड़ी उपलब्धि
सूत्रों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी इस संस्था में चयन प्रक्रिया बेहद कठिन और प्रतिस्पर्धी होती है, जिसमें विश्वभर के अधिकारी भाग लेते हैं।
IPS लोकेश्वर सिंह (Batch 2014) ने अपनी लगन, पेशेवर दक्षता और नेतृत्व क्षमता के बल पर यह सम्मान अर्जित किया है।
उत्तराखंड पुलिस में दिया उल्लेखनीय योगदान
पिछले 11 वर्षों से उत्तराखंड पुलिस सेवा में रहते हुए उन्होंने हरिद्वार, देहरादून, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
वर्तमान में वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), पौड़ी के पद पर कार्यरत हैं और जिले की कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
उनके कार्यकाल में अपराध नियंत्रण, साइबर सुरक्षा, और जनसहभागिता आधारित पुलिसिंग को नई दिशा मिली है।
संयुक्त राष्ट्र में नई भूमिका
अब आईपीएस लोकेश्वर सिंह अपनी नई अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी में शांति स्थापना, संस्थागत पारदर्शिता, और वैश्विक सहयोग जैसे क्षेत्रों में योगदान देंगे।
उनकी नियुक्ति से भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में और सशक्त होगा।
भारत और उत्तराखंड का नाम रोशन
आईपीएस लोकेश्वर सिंह की यह उपलब्धि भारत और उत्तराखंड राज्य दोनों के लिए गर्व का विषय है।
राज्य के पुलिस अधिकारियों में इसे लेकर उत्साह और गर्व का माहौल है।
उनके संयुक्त राष्ट्र संगठन में चयन से यह साबित होता है कि उत्तराखंड पुलिस के अधिकारी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं।
नई भूमिका से पहले औपचारिक प्रक्रिया
लोकेश्वर सिंह शीघ्र ही पुलिस मुख्यालय और राज्य सरकार को औपचारिक अनुमोदन के लिए आवेदन प्रस्तुत करेंगे।
अनुमोदन प्राप्त होने के उपरांत वे उत्तराखंड कैडर से कार्यमुक्त होकर अपनी नई अंतरराष्ट्रीय भूमिका में कार्यभार संभालेंगे।
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उत्तरकाशी 06 अक्टूबर, 2025 (सूचना)
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के साथ संवाद किया। सोमवार को जिला मुख्यालय में आयोजित संवाद सत्र कार्यक्रम में सतत विकास एवं नीतिगत निर्माण से संबंधित विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। तथा प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों ने विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछे और अपने विचार साझा किए।
जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सस्टेनेबल डेवलेपमेंट सिर्फ एक लक्ष्य नहीं,बल्कि प्रशासनिक निर्णयों का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा कि विकास की किसी भी प्रक्रिया में पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समानता और आर्थिक सशक्तिकरण को समाविष्ट करना अनिवार्य है।
जिलाधिकारी ने विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे जल संरक्षण,हरित ऊर्जा,महिला सशक्तिकरण,शिक्षा,कृषि,बागवानी,पर्यटन और स्वास्थ्य सेवाओं के सतत विकास में योगदान पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रशिक्षुओं को नीति निर्माण की जमीनी चुनौतियों एवं उसके समाधान से भी अवगत कराया।
सीमांत वाइब्रेट विलेज के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के बाद वापस लौटे 42 प्रशिक्षु अधिकारियों ने भी इस अवसर पर विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछे और अपने विचार साझा किए। जिलाधिकारी ने उनके प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्हें प्रशासनिक दायित्वों के निर्वहन में नवाचार और जनसहभागिता को प्राथमिकता देने की सलाह दी।जिलाधिकारी ने प्रशिक्षुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप आने वाले समय में न केवल बेहतर प्रशासक बनें,बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले प्रेरक बनें। इस अवसर पर प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों ने जिलाधिकारी को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
इस अवसर पर एडीएम मुक्ता मिश्र,डीसी आईटीबीपी प्रकाश सिंह,डॉ.अक्षय,आपदा समन्वयक जय पंवार सहित अन्य अधिकारी एवं प्रशिक्षु आईएएस उपस्थित रहे।
उत्तरकाशी 6 अक्टूबर 2025 (सूचना)
जिलाधिकारी की विशेष पहल पर राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर *"सूचना क्रांति के युग में साहित्यिक विमर्श"* थीम पर जनपद के साहित्यकारों का समागम आयोजित किया जाएगा। जानकारी देते हुए जिला पर्यटन विकास अधिकारी केके जोशी ने बताया कि जिले के साहित्यकारों को सम्मानित करने और उनकी साहित्यिक कृतियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2 से 9 नवम्बर 2025 के बीच एक दिवसीय कार्यक्रम जिला प्रेक्षागृह में आयोजित किया जाएगा।
जिला पर्यटन अधिकारी ने बताया कि समागम में जिले के स्थायी निवासी साहित्यकार ही पात्र होंगे। उन्हें ऑनलाइन वेब लिंक https://forms.gle/DX15xPXcD22suwUT8 के माध्यम से पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण आवेदन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है। इस तिथि के बाद प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में नई पुस्तकों का विमोचन भी किया जाएगा। इसके अलावा जिले के साहित्यकारों को उनकी साहित्यिक कृतियों के लिए सम्मानित किया जाएगा। पुस्तक विमोचन के लिए पुस्तक का नाम भी वेब लिंक पर अपलोड करना होगा।
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🛑भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा दिनांक 05.102025 को जारी पूर्वानुमान अनुसार अगले 12 घंटो में राज्य के जनपद उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, देहरादून, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, टिहरी एवं हरिद्वार, जनपदों में कही-कही गर्जन के साथ अकाशीय बिजली चमकने तथा झोंकेदार हावायें चलने (40-50 कि0मी0 प्रति घंटा) ओलावृष्टि होने की संभावना व्यक्त की गई है । ( ओरेंज अलर्ट )
*जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देश दिए गये हैं कि-*
1. सभी आई0आर0एस0 सम्बन्धी अधिकारी सर्तक अवस्था में रहेंगे तथा अपने मोबाइल फोन ऑन रखेंगेे तथा किसी भी आपात स्थिति या घटना की सूचना तत्काल आपातकालीन परिचालन केंद्र, उत्तरकाशी को देंगे।
2. NH, PWD, PMGSY, ADB, BRO, WB, CPWD आदि यातायात व्यवस्था को सुचारू/सुदृढ़ बनाये रखना एवं यातायात अवरुद्ध होने पर उक्त स्थान पर मशीनरी तैनात कर यातायात को तत्काल सुचारू करवाना सुनिश्चित करें।
3. विधुत विभाग विधुत सप्लाई व्यवस्था को सुचारू/सुदृढ़ बनाये रखना एवं विधुत सप्लाई अवरुद्ध होने पर विधुत सप्लाई को तत्काल सुचारू करवाना सुनिश्चित करें।
4. सभी रेखीय विभाग 24X7 की तर्ज पर क्रियाशील रहेंगे।
5. सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारी अपने अपने मोबाइल फोन खुला रखेंगे एवं किसी भी स्थिति की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल कार्य प्रारंभ करेंगे।
6. पुलिस यातायात नियंत्रण हेतु विभिन्न यात्रा पड़ावों पर अत्यधिक वर्षा होने पर सुरक्षित स्थानों पर रूकवाना सुनिश्चित करें। तथा मौसम सामान्य होने पर यातायात व्यवस्था सुचारू करवायें।
7. विभिन्न ट्रेको पर जाने वाले ट्रेकरो/पर्यटको को मौसम साफ होने तक रोका जाय।
DEOC Uki
श्री गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए 22 अक्टूबर (कार्तिक 6 गते) अन्नकूट पर्व पर अभिजीत मुहूर्त में प्रातः 11 बजकर 36 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चारण और विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे।
#GangotriDham
#Uttarkashi
#AnnakootParv
#Uttarakhand
#CharDhamYatra
धराली 5 अक्टूबर 2025 (सूचना)
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने शनिवार देर सांय धराली गांव का दौरा कर आपदा प्रभावित लोगों से भेंट कर उनकी समस्याएं सुनीं। इस दौरान जिलाधिकारी ने धराली क्षेत्र में चल रहे तात्कालिक आपदा पुनर्निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करते हुए कार्यों की प्रगति का जायजा लिया तथा उपस्थित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
धराली में ग्रामवासियों की विभिन्न मांगों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि आगामी 14 अक्टूबर को धराली गांव में एक विशेष शिविर आयोजित किया जाए। जिसमें प्रभावितों के आवश्यक प्रमाण पत्र मौके पर ही निर्गत किए जा सके। जिलाधिकारी ने शिविर में स्वास्थ्य विभाग,राजस्व,समाज कल्याण,ग्राम्य विकास,पंचायती राज आदि विभागों को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए। इस दौरान जिलाधिकारी ने धराली में निर्माणाधीन सेब कलेक्शन एवं ग्रेडिंग सेंटर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यों में गति लाने और तय समयसीमा के भीतर निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। ताकि स्थानीय किसानों को इसका शीघ्र लाभ मिल सके। जिलाधिकारी ने धराली मुखबा पैदल मार्ग पर सुरक्षात्मक कार्यों का भी निरीक्षण किया।
इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण कर जायजा लिया। तथा यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इन दिनों सीमांत के गांव सुखी,झाला,जसपुर,पुराली,हर्षिल धराली में सेब सीजन भी शुरू हो चुका है। यात्रा पर आए विभिन्न राज्यों के तीर्थयात्री सेब की भरपूर खरीदारी कर रहे है। इससे स्थानीय बागवानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। तथा इससे कृषि,बागवानी एवं पर्यटन को प्रोत्साहन मिल रहा है।
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी एसएल सेमवाल,ईई लोनिवि, आपदा समन्वयक जय पंवार सहित ग्रामीण उपस्थित रह
*उत्तरकाशी पुलिस प्रशासन की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*
*सीओ उत्तरकाशी द्वारा गंगोत्री यात्रा रुट का निरीक्षण कर पुलिस अधिकारी/कर्मियों को दिये जरुरी निर्देश।*
*पुलिस उपाधीक्षक उत्तरकाशी श्री जनक सिंह पंवार* द्वारा आज 6 अक्टूबर 2025 को गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का निरीक्षण तथा पुलिस ड्यूटियों को चैक कर जरुरी निर्देश दिये गये। उनके द्वारा यात्री पंजीकरण केन्द्र हीना पहुँचकर ड्यूटियों को चैक किया गया तथा पुलिस अधिकारी/कर्मियों को सुरक्षित, सुगम एवं व्यवस्थित यात्रा के सम्बन्ध में जरुरी दिशा-निर्देश दिये गये। *सुरक्षा के मध्यनजर गंगोत्री धाम यात्रा हेतु प्रातः 4 बजे से सांय 4 तीर्थयात्रियों की आवाजाही कराने के साथ मौसम विभाग के बारिश के अलर्ट को देखते हुये अत्याधिक बारिश की तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रुकवाने* की हिदायत दी गयी।
*मोरी पुलिस ने जानी सीनियर सिटीजन की कुशल क्षेम, साईबर अपराध से बचाव की दी जानकारी।*
"सामुदायिक पुलिसिंग" के अंतर्गत उत्तरकाशी पुलिस द्वारा *श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन में वरिष्ठ नागरिकों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना जा रहा है, साथ ही आमजनमानस को नशे के दुष्प्रभाव, साइबर अपराध तथा सामाजिक कुरीतियों के प्रति लगातार जागरुक किया जा रहा है । कल 4 अक्टूबर 2025 को थानाध्यक्ष मोरी, श्री रणवीर चौहान के नेतृत्व में मोरी पुलिस द्वारा दुरस्त गांव टिकोची व कुंछाला, नानई मे सीनियर सिटीजन से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम जानी गयी, वरिष्ठ जनों को साईबर अपराध एवं नशे के दुष्प्रभाव के प्रति सजग करते हुये साईबर हेल्पलाईन नम्बर 1930 की उपयोगिता के बारे मे बताया गया। इस दौरान पुलिस द्वारा कुंछाला, नानई के शहीद राकेश चौहान जी के परिजनों से मुलाक़ात कर उनका हाल-चाल जाना गया।
प्रदेश में विभिन्न आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव अभियान में योगदान देने वाले अधिकारी एवं कर्मियों के सम्मान हेतु आज राजकीय दून मेडिकल कॉलेज (देहरादून) में अर्पित फाउंडेशन द्वारा आयोजित ’प्राइड मूवमेंट सम्मान समारोह’ में माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड, श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा पुलिस, SDRF, NDRF एवं ITBP के अधिकारी एवं कर्मियों को सम्मानित किया गया। इस दौरान उनके द्वारा हर्षिल-धराली आपदा के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले उत्तरकाशी पुलिस के अपर उपनिरीक्षक श्री प्रमोद उनियाल एवं आरक्षी श्री नरेश जी को भी सम्मानित किया गया।
*चौकी भटवाड़ी पुलिस द्वारा ग्रामीणों को साईबर अपराध व नशे के दुष्प्रभाव के प्रति किया गया जागरुक।*
"सामुदायिक पुलिसिंग" के अंतर्गत उत्तरकाशी पुलिस द्वारा *श्रीमान पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी महोदया* के निर्देशन में वरिष्ठ नागरिकों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना जा रहा है, साथ ही आमजनमानस को नशे के दुष्प्रभाव, साइबर अपराध तथा सामाजिक कुरीतियों के प्रति लगातार जागरुक किया जा रहा है। आज 4 अक्टूबर 2025 को चौकी प्रभारी, श्री निखिल देव चौधरी के नेतृत्व में चौकी भटवाड़ी पुलिस टीम द्वारा दूरस्थ ग्राम नटीन में ग्रामीणों के साथ संवाद एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपस्थित ग्रामवासी, महिलाओं, किशोर, युवा एवं वरिष्ठ नागरिकों को साइबर अपराध, बाल अपराध, नशा, यातायात नियमों एवं अन्य सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत पुलिस द्वारा गाँव में उगी लगभग 15 नाली प्राकृतिक भांग को ग्रामीणों के सहयोग से नष्ट किया गया तथा लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। गाँव के बुजुर्ग एवं वरिष्ठ नागरिकों की कुशल-क्षेम पूछी गई, उनकी समस्याओं को ससम्मान सुना गया तथा आवश्यक सहायता व समाधान का आश्वासन दिया गया।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान, पूर्व प्रधान सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने साथ मिलकर समाज को नशामुक्त, सुरक्षित और जागरूक बनाने का संकल्प लिया।
*चौकी डुंडा पुलिस द्वारा सीनियर सिटीजन को साईबर अपराध के प्रति किया गया जागरुक।*
"सामुदायिक पुलिसिंग" के अंतर्गत उत्तरकाशी पुलिस द्वारा वरिष्ठ नागरिकों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना जा रहा है, साथ ही आमजनमानस को नशे के दुष्प्रभाव, साइबर अपराध तथा सामाजिक कुरीतियों के प्रति लगातार जागरुक किया जा रहा है । आज 3 अक्टूबर 2025 को चौकी प्रभारी, श्री प्रकाश राणा के नेतृत्व में डुंडा पुलिस द्वारा नाकुरी व सिंगोटी मे सीनियर सिटीजन से मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम जानी गयी, वरिष्ठ जनों को साईबर अपराधों के प्रति सजग करते हुये साईबर हेल्पलाईन नम्बर 1930 की उपयोगिता के बारे मे बताया गया।
*महेश बहुगुणा (MEDIA EPISOD ANCHOR & REPORTER TRAINING INSTRUCTOR)=8126216516*
*राजधानी दिल्ली की खेती, किसान एवं जमींदारी प्रथा पर ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट देखिए GANGA 24 EXPRES पर महेश बहुगुणा AND टीम के साथ=8126216516*
*देखिए क्रिकेट के PROPER ट्रफ व पिच पर क्लब क्रिकेट मैच की ग्राउंड जीरो कवरेज*
आमदार ने ली राज्य व मनपा पीडब्ल्यूडी की संयुक्त बैठक
उल्हासनगर : शहर की विभिन्न समस्याओं को लेकर आमदार कुमार आयलानी द्वारा जनसंपर्क कार्यालय में नगरसेवकों की उपस्थिति में राज्य सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा उल्हासनगर मनपा के सार्वजनिक निर्माण विभाग की सोमवार को बैठक ली। राज्य सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी प्रशांत मानकर ने इस बैठक में यह सुनिश्चित किया कि अगले सप्ताह से कल्याण बदलापुर रोड़ का काम उल्हासनगर क्षेत्र में शुरू किया जाएगा।
वहीं उल्हासनगर मनपा के सिटी इंजीनियर नीलेश शिरसाटे की केवल आश्वासन देने और काम शुरू न करने को लेकर आमदार व पूर्व नगरसेवकों ने जमकर क्लास ली। सिटी इंजीनियर द्वारा हमेशा रटा रटाया जबाब देने से आमदार भड़क उठे और उन्हें यह सलाह दी कि केबिन से बाहर निकल कर शहर की स्थिति देखें। आमदार ने कहा कि जिन ठेकेदारों ने गड्ढे भरने का काम किया और गड्ढे फिर जस के तस हो गए उनकी पेमेंट को तब तक रोक दें जब तक वह फिर से गड्ढों को न भर दें। दीवाली से पहले सभी सड़कें व्यवस्थित होनी चाहिए। टेंडर ऐसे निकाले जिसमें पेवर ब्लॉक, कॉन्क्रीट व डामर तीनों तरह की सड़कों को सुधारने का प्राविधान हो।
स्लम बस्तियों के शौचालयों के दरवाजे, मरम्मत का काम जहां भी हुआ उसकी लोकेशन व फोटो के साथ अगली बैठक में विवरण देने के लिए निर्देशित किया। वहीं वॉटर सप्लाई व पीडब्ल्यूडी को शहर का संयुक्त दौरा कर पहले लीकेज बंद करके फिर रोड़ निर्माण करने को कहा। श्मसान भूमि की बदहाल सड़क व शहर की अन्य प्रमुख सड़कों जिनका विवरण बैठक में नगरसेवकों द्वारा दिया गया उन्हें वरीयता पर बनाने के लिए आमदार कुमार आयलानी ने निर्देश दिया। अगली बैठक में सभी विवरण व संबंधित प्रभाग के जूनियर इंजीनियर काम की रिपोर्ट के साथ आएं ऐसा सुझाव सिटी इंजीनियर नीलेश शिरसाटे को उपस्थित पूर्व नगरसेवकों द्वारा दिया गया।
इस बैठक में प्रशांत पाटील , मनोहर खेमचंदानी, डॉ. एस बी सिंह, प्रेम झा, मीना सोंडे, संजय सिंह, हेमा पिंजानी, पिंटू भटीजा व पीडब्ल्यूडी राज्य व यूएमसी के अन्य अधिकारी मौजूद थे।आपको शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं, माँ लक्ष्मी के जन्मदिन सहित भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों संघ महारास जैसी पौराणिक मान्यताओं और चन्द्रमा के शरद पूर्णिमा की मंगलमय शुभकामनायें।यह वह तिथि है जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होती है। इस दिन चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण कला के साथ दर्शन देती है। चन्द्रमा की छटा इस तिथि को दर्शनीय होती है। सनातन हिन्दू धर्म की परम्परा में शरद पूर्णिमा की रात्रि में दूध की खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रख दिया जाता है। प्रातः इस खीर को प्रसाद के रूप में लिया जाता है। मान्यता है कि चूंकि चन्द्रमा अमृत तत्व का प्रतीक भी है, इसलिए सम्पूर्ण कला के साथ चन्द्रमा में रखी खीर में अमृत तत्व का प्रभाव होता है।इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक होने से पृथ्वी पर अमृत वर्षा होने की कथा समेटे अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आप सभी को मेरी तरफ से बधाई,आज से ही शरद ऋतु का आगमन भी होता है,मान्यता है कि आज के दिन यदि चाँदनी रात में रखी खीर अगली सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें तो कई रोगों से मुक्ति और घर मे खुशहाली आती है,वैसे भी खीर का अभिप्राय मिठास से ही है,इस शुभ अवसर पर हम भगवान से कामना करते हैं कि आप सपरिवार स्वस्थ ,निरोगी और खुशहाल रहे,शरद पूर्णिमा पर आपकी खुशहाली की कामना करते हुए पुनः आपको शरद पूर्णिमा की मंगल कामनाएं।
ॐ इष्ट,कुल,पित्र देवाय नमः।
शुभकामनाओ सहित
बबीता पैन्यूली (सदस्य क्षेत्र पंचायत वार्ड 39 लिखवार गांव )
चन्द्रशेखर पैन्यूली
पूर्व प्रधान,लिखवार गांव, प्रतापनगर, टिहरी गढ़वाल.⚛️ 🔯 ✡️ 🕉️ ✡️ 🔯 ⚛️
*Sharad Poornima ~ Kojagara Kaumudi Vrat ~ Maharishi Valmiki Jayanthi*
*शरद पूर्णिमा ~ कोजागरा कौमुदी व्रत ~ महर्षि वाल्मीकि जयंती*
*प्रणय-निवेदन की रात ~ रास पूर्णिमा*
Have a Blessed SHARAD POORNIMA 🙏
अनित्ये जीवो नित्यो हेतुरस्य त्वनित्य:।
In impermanence the being is Eternal, but the cause of this is impermanent.
अनतिक्रमणीयो हि विधि:।
For the law is inviolable.
समत्वं योगः उच्यते।
Equality is the highest form of Yoga.
हर्षस्थानराहस्त्राणि भयस्थानशतानि च l
दिवसे दिवसे मूढमाविशन्ति न पण्डितम् ||
An ignorant man gets thousands of joyous moments and hundreds of scary occasions every day; But on a learned man's mind, they have no effect.
यथा दीपो निवातस्थो नेते सोपगा स्मृता।
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगगात्मनः।।
Just as the light of a lamp does not flicker in an airless place, in the same way a Yogi with a controlled mind remains stable in self-contemplation.
मुगल बादशाह के मशहूर रत्न और अपने जमाने के अद्भुत कवि *अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना* के मदनाष्टक की ख़ूबी यह है कि इसमें एक पद संस्कृत में है तो दूसरा फ़ारसी में। उनकी यह नायाब प्रयोगात्मक कविता यहाँ उद्धृत करने से मैं स्वयं को नहीं रोक पा रहा हूँ। इस पठनीय पद्यांश का आप सब भी आनंद लें।
*मदनाष्टक*
~ अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना
शरद-निशि निशीथे चाँद की रोशनाई।
सघन वन निकुंजे वंशी बजाई।।
रति, पति, सुत, निद्रा, साइयाँ छोड़ भागी।
मदन-शिरसि भूय: क्या बला आन लागी।।1।।
कलित ललित माला या जवाहिर जड़ा था।
चपल चखन वाला चाँदनी में खड़ा था।।
कटि-तट बिच मेला पीत सेला नवेला।
अलि बन अलबेला यार मेरा अकेला।।2।।
दृग छकित छबीली छैलरा की छरी थी ।
मणि जटित रसीली माधुरी मूँदरी थी।।
अमल कमल ऐसा खूब से खूब देखा।
कहि सकत न जैसा श्याम का हस्त देखा।।3।।
कठिन कुटिल कारी देख दिलदार जुलफें।
अलि कलित बिहारी आपने जी की कुलफें।।
सकल शशिकला को रोशनी-हीन लेखौं।
अहह! ब्रजलला को किस तरह फेर देखौं।।4।।
ज़रद बसन-वाला गुल चमन देखता था।
झुक झुक मतवाला गावता रेखता था।।
श्रुति युग चपला से कुण्डलें झूमते थे।
नयन कर तमाशे मस्त ह्वै घूमते थे।।5।।
तरल तरनि सी हैं तीर सी नोकदारैं।
अमल कमल सी हैं दीर्घ हैं दिल बिदारैं।।
मधुर मधुप हेरैं माल मस्ती न राखें।
विलसति मन मेरे सुंदरी श्याम आँखें।।6।।
भुजंग जुग किधौं हैं काम कमनैत सोहैं।
नटवर! तव मोहैं बाँकुरी मान भौंहें।।
सुनु सखि! मृदु बानी बेदुरुस्ती अकिल में।
सरल सरल सानी कै गई सार दिल में।।7।।
पकरि परम प्यारे साँवरे को मिलाओ।
असल समृत प्याला क्यों न मुझको पिलाओ।।
इति वदति पठानी मनमथांगी विरागी।
मदन शिरसि भूय; क्या बला आन लागी।।8।।
फलित ललित माला वा जवाहिर जड़ा था।
चपल चखन वाला चान्दनी में खड़ा था।।
कटि तट बिच मेला पीत सेला नवेला।
अली, बन अलबेला यार मेरा अकेला ।।9।।
*तिलिस्मी रात*
दै वरदान संग खेलन कौं शरद रैनि जब आई।
रचिकैं रास सबन सुख दीन्हौं रजनी अधिक कराई।।
~ "सूरदास "
है होश जब तक जिन्दगी में,
जश्न होना चाहिये।
"खुशियाँ" बन जायें राधिका,
"मन" कृष्ण होना चाहिये।।
...आँखें सुंदर...
...और मुस्कान प्यारी है...
...इन्हीं पर तो ज़िन्दगी...
...कुर्बान हमारी है...
इस पावन शरदोत्सव की आप सभी को हार्दिक मंगलकामनायें..
शरद पूर्णिमा का चन्द्रमा आपके जीवन में शांति, शीतलता, कोमलता, उदारता, प्रेम, समृद्धि और सौहार्द का अमृत ले कर बरसे...
आज आश्विनमास की पूर्णिमा है और आज से ही शरद ऋतु प्रारंभ हो रही है। इसलिये आज की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। कहा जाता है कि आज चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। आज के दिन को प्रेम , त्याग और समर्पण का दिन माना जाता है क्योंकि ऐसा पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि आज की रात श्रीकृष्ण ने ब्रज की धरती में गोपियों संग रास रचाया था। इसलिये लोक मान्यता है कि अगर आज की रात प्रेम करने वाले चाँद को साथ में निहारे तो उनके प्रेम की आयु बहुत ज्यादा लंबी होती है और उन पर राधा-कृष्ण का आशीष हमेशा बरसता रहता है।
यही नहीं आज के दिन माँ लक्ष्मी का भी दिन होता है। ऐसा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि आज के दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है। इसलिये लोग माँ लक्ष्मी को खीर का भोग लगाते हैं और उसके बाद खुले आसमान के नीचे रखते हैं जिससे उस खीर में अमृत का वास हो जाय।
शरद पूर्णिमा की रात को साल की सबसे खूबसूरत रात माना जाता है। यह शरद ऋतु के आरंभ की घोषणा है। इसे कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लोग आज की रात को कौमुदी महोत्सव और रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस रात की खूबसूरती और महत्त्व की व्याख्या लोग अपनी-अपनी आस्थाओं और भावनाओं के अनुरूप करते हैं। इस रात का धार्मिक पक्ष यह है कि आज की रात देवी लक्ष्मी स्वर्ग लोक से सीधे पृथ्वी पर उतरती हैं। वह रात्रि जागरणकर आराधना में लीन अपने भक्तों को इस लोक में समृद्धि और वैभव प्रदान करती है और परलोक में सद्गति।
इस रात की कर्मकांडीय मान्यता यह है कि चाँद के उगने के बाद सोने-चाँदी या मिट्टी के घी से भरे 100 दीपक जलाने के बाद यदि सात्विक ब्राह्मणों को भक्तिपूर्वक चाँदनी में कुछ देर रखी शीतल खीर का भोजन कराया जाय तो यजमान को सीधे स्वर्ग में प्रवेश मिल जा सकता है।
इसका वैज्ञानिक सच यह है कि साल में केवल इसी रात चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और इसीलिये सबसे बड़ा, सबसे चमकदार दिखता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस रात का चाँद अपनी सभी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसीलिये धरती पर सुख, स्वास्थ और तेज की वर्षा करता है।
शरद पूर्णिमा का मानवीय पक्ष यह है कि यह वर्ष की सबसे *रूमानी रात* है जब आकाश में चाँद की खूबसूरती अपने पूरे शबाब पर होती है। यह जादू जगाने वाली रात है। जादू शीत की आहट के साथ तन में जागते रोमांच का।
मन में कोमल भावनाओं का जादू आहिस्ता-आहिस्ता अंगडाई लेती है। आज की रात आसमान का चाँद अन्य दिनों से कुछ अलग ही दिखता है। इसपर आँखें गड़ा दीजिये तो ऐसा लगेगा जैसे आकाश से गीले-गीले ख़्वाबों में डूबा कोई धवल चेहरा आपको बहुत हसरत से ताक और निहार रहा है! या जैसे दूध-मलाई-शहद का एक बड़ा-सा छत्ता किसी ने अनंत में टाँग दिया हो।
शरद पूर्णिमा के साथ धार्मिकता और कर्मकांड तो बाद में जुड़े। वस्तुतः यह प्रेमियों की रात है। प्रेम को समर्पित भावनाओं का एक एकांत कोना जिसे प्राचीन काल में थोड़ी-बहुत सामाजिक मान्यता भी प्राप्त थी। बसंत उत्सव या मदनोत्सव की तरह। कुछ प्राचीन संस्कृत काव्यों में उल्लेख है कि इस रात प्रेमी अपने गाँव के आसपास किसी उपवन में या सरोवर के तट पर एकत्र होकर अपने प्रिय पात्र के आगे प्रणय-निवेदन करते थे। यह शरद पूर्णिमा की ही रात थी जब कृष्ण ने अपने प्रेम में डूबी ब्रज की गोपियों के साथ मधुबन में महारास रचाया था। कदंब के पेड़ों से झरती चाँदनी के नीचे कृष्ण की बाँसुरी की मोहक तान और गहन प्रेम एवं समर्पण की लय पर गोपियों के सामूहिक नृत्य का अनोखा आयोजन जिसे पुराणों ने आध्यात्मिक ऊँचाई दी है।
लोगों का सदा से यह भरोसा रहा है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झरता है। इस अमृत में नहा लेने से शरीर और आत्मा में नई उर्जा और जीवन शक्ति का संचार हुआ करता है। आज की रात प्रेमीयुगल अगर एक साथ इस अमृत नें स्नान कर लें तो वे जन्म-जन्मान्तर के अटूट बंधन में बँध जाते हैं। यह मान्यता झूठी हो तब भी जादू की इस शुभ्र नदी में साल में एक रात स्नान तो बनता ही बनता है।
उत्तर भारत में आज की रात दूध और गुड़ में बनी खीर को शीतल चाँदनी से बरसते अमृत में देर तक भिंगोकर खाने की परंपरा है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की चाँदनी के असर से खीर में कुछ औषधीय गुण आ जाया करते हैं।
हममें से बहुत लोगों ने अपने बचपन में गाँव में कदंब वृक्ष के नीचे पूरे परिवार और मित्रों के साथ बैठकर पत्तों से झरती चाँदनी का आनंद लिया होगा। चाँदनी में नहाई शीतल खीर भी खाई होगी। नाचा-गाया और देर रात तक धमाल भी मचाया होगा। जवानी में जबतक इस रात के पीछे का रूमान समझ में आया तबतक बहुत कुछ बदल चुका था। कदंब के पेड़ लगभग लुप्त हो चुके थे। शहरों से ही नहीं, गाँवों से भी। आकाश का धवल चाँद अकेला पड़ चुका था। थोड़ा-थोड़ा मद्धिम और उदास भी।
शहरों की चकाचौंध और कृत्रिम रौशनी ने उसकी चमक छीन ली थी। तथा कोलाहल ने उसका एकांत एवं लोगों के जीवन की आपाधापी ने उसका साहचर्य। बचपन के बाद फिर कभी शरद पूर्णिमा की वह जादुई चमक देखने और महसूस करने को नहीं मिली।
आज गाँवों में भी जो लोग हैं वे इस रात का अर्थ और रोमांच भूल चुके हैं। उनके लिये यह रात प्रेमियों की नहीं, पुरोहितों और धार्मिक कर्मकांडों की रात बन चुकी है।
आज फिर शरद पूर्णिमा की रात है। किंतु इस शरद पूर्णिमा पर कदंब से छनकर आती चाँदनी का तिलिस्म अब शायद नहीं दिखेगा। प्रेम का एकांत कोना भी अब सही ढंग से नसीब नहीं होगा।
बहरहाल शीतल चाँदनी में नहाई अपने घर की अकेली छत पर खीर का कटोरा चाँदनी के हवाले करिये और एक चादर बिछाकर चुपचाप तन्हा लेट जाईये।
अगल-बगल की कृत्रिम चकाचौंध को नजरअंदाज कर देह पर झरती गोरी चाँदनी और सरकती हवा का जादू देर तक महसूस करिये। छत पर आप अपने प्रेम के साथ हैं तो चाँद आपकी उंगलियाँ पकड़ कर प्रेम की बहुत आंतरिक और कुछ अनजानी अनुभूतियों तक ले जायेगा। चाँदनी के साथ उस यात्रा में प्रेम के कुछ नये रंग आपको जरुर देखने को मिल जायेंगे।
आप परिवार के साथ हैं तो ऐसा महसूस होगा कि चाँद आपके पूरे परिवार के बीच अपनी स्निग्ध हँसी लिये एक बच्चे की तरह चुपके से आकर बैठ गया है — आपकी पारिवारिकता की भावना को थोड़ा और सघन एवं गहरा करता हुआ।
छत पर आप अकेले हैं तो उदास होने की जरूरत नहीं है। आसमान में चाँद भी आपको उदास मिलेगा। उस अकेले, उदास चाँद को एकटक निहारिये। उससे मन ही मन कुछ बोलिये-बतिआईये। चाँद आपका अकेलापन और उदासी भी बाँटेगा और आपके भीतर बहुत सारी सकारात्मकता भी भरेगा।
शरद पूर्णिमा का जो खूबसूरत चाँद आपके लिये प्रेम के इतने सारे रूपांतरण (शेड्स) लेकर उपस्थित होता है, आपकी मुहब्बत का थोड़ा-बहुत हकदार वह भी तो है l
इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महारास रचाया था, इसलिये इसे "रास- पूर्णिमा" भी कहते हैं। गोपियों के साथ भगवान कृष्ण की इस महारासलीला में किसी अन्य पुरुष के आने की मनाही थी परन्तु भगवान शिव जी को यह सब देखने की जिज्ञासा हो गई थी इसलिये उन्होंने गोपी का रूप धारण किया और इस रासलीला को देखने के लिये पहुँच गये । उन्होंने घूँघट निकाल रखा था, उन्होंने यह रासलीला देखी थी इसलिये उनका एक नाम *गोपीश्वर यानी गोपेश्वर महादेव* भी पड़ा है। श्री कृष्ण जी तो सब जानते ही थे। जब नृत्य शुरू हुआ तो वो महादेव जी के साथ भी नृत्य करने लगे, फ़िर नृत्य में मगन रहने से महादेव जी का घूँघट गिरा तो अंदर से निकले हमारे दाढ़ी-मूँछ वाले महादेव जी
It is believed that Sharad Purnima is the only day in the year when the moon comes out with all sixteen Kalas. In Hinduism, each human quality is associated with certain Kala and it is believed that the combination of sixteen different Kala(s) creates a perfect human personality. It was Lord Krishna who was born with all sixteen Kala(s) and He was the complete incarnation of Lord Vishnu. Lord Rama was born with only twelve Kala(s), hence worshipping God Chandra on the day of Sharad Purnima is considered very significant. Newly wed women, who take pledge to do Purnimasi fasting for the year, begin the fast from the day of Sharad Purnima. In Gujarat Sharad Purnima is more popularly known as Sharad Poonam.
On this day not only Moon shines with all sixteen Kala(s) but also its rays have certain healing properties which nourish the body and the soul. It is also believed that the moon rays on the day of Sharad Purnima drip nectar. Hence to take advantage of this divine phenomenon, traditionally on the day of Sharad Purnima, Rice-Kheer a famous Indian sweet dish made of cow milk, rice and sugar, is prepared and left in moonlight for the whole night. In the morning, Rice-Kheer which is believed to be invigorated and fortified with the moonlight is consumed and distributed as Prasad in family members.
In Brij region, Sharad Purnima is also known as Raas Purnima (रास पूर्णिमा). It is believed that on the day of Sharad Purnima Lord Krishna performed Maha-Raas, the dance of divine love. On the night of Sharad Purnima, upon hearing the divine music of Krishna's flute, Gopis of Vrindavan sneaked away from their homes and families to the forest to dance with Krishna throughout the night. It was the day when Lord Krishna created several of Krishna(s) to accompany each Gopi. It is believed that Lord Krishna supernaturally stretched the night to the length of one night of Lord Brahma which was equivalent of billions of human years.
In many regions Sharad Purnima is known as Kojagara Purnima when Kojagara Vrat is observed for the whole day. Kojagara Vrat is also known as Kaumudi Vrat (कौमुदी व्रत).
Today SHARAD PURNIMA is also observed as Maharishi VALMIKI JAYANTHI.
Valmiki is celebrated as the harbinger-poet in Sanskrit literature. The epic Ramayana is attributed to him, based on the attribution in the text itself. He is revered as Ādi Kavi, the first poet, author of Ramayana, the first epic poem. Valmiki is also quoted as being the contemporary of Sri Rama. Menen claims Valmiki is "the first author in all history to bring himself into his own composition."
Valmiki was born as Agni Sharma to a Brahmin named Pracheta, also known as Sumali of Bhrigu gotra. According to legend he once met the great sage Narada and had a discourse with him on his duties. Moved by Narada's words, Agni Sharma began to perform penance and chanted the word "Mara" which meant "die". As he performed his penance for several years, the word became "Rama", the name of Lord Vishnu. Huge anthills formed around Agni Sharma and this earned him the name of Valmiki. Agni Sharma, renamed as Valmiki, learnt the scriptures from Narada and became the foremost of ascetics, revered by everyone.
There also exist some legends about Valmiki having been a thief before turning into a rishi. The Nagara Khanda of the Skanda Purana in its section on the creation of Mukhara Tirtha mentions that Valmiki was born a Brahmin, with the name of Lohajangha and was a devoted son to his parents. He had a beautiful wife and both of them were faithful to each other. Once, when there was no rain in the region of Anarta, for twelve long years, Lohajangha, for the sake of his hungry family, started robbing people that he found in the forest. In the course of this life he met the seven sages or the Saptarishi and tried to rob them as well. But the learned sages felt pity on him and showed him the folly of his ways. One of them, Pulaha gave him a Mantra to meditate upon and the Brahmin turned thief got so engrossed in its recitation that ant-hills came up around his body. When the sages returned and heard the sound of the mantra coming from the ant-hill, they blessed him and said, "Since you achieved great Siddhi seated within a Valmīka (an anthill), you will become well-known in the world as Vālmīki
The Balmiki sect of Hinduism reveres Valmiki as a patron saint, with a plethora of mandirs dedicated to him.
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