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Saturday, September 27, 2025

*भारत की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS (DIGITAL WEB NEWS CHANNEL) पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*

भारत की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS (DIGITAL WEB NEWS CHANNEL) पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*


*उत्तराखंड एवं उत्तरकाशी की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS (DIGITAL WEB NEWS CHANNEL) पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*

*उत्तरकाशी पुलिस प्रशासन की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516* 


 *उत्तरकाशी प्रशासन की संपूर्ण खबरों के लिए देखिए GANGA 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा & टीम के साथ= 8126216516*

 उत्तराखण्ड सरकार की बागवानी योजना से किसान बढ़ा रहे हैं आत्मनिर्भरता की ओर कदम। 50 से 60% सब्सिडी का लाभ लेकर मिश्रित बागवानी से संवर रहा है किसानों का भविष्य।

#Horticulture
#OrganicFarming
#AtmanirbharBharat
#Uttarakhand


 🛑


🛑 उत्तरकाशी, 27 सितंबर 2025


शनिवार को जिलाधिकारी प्रशांत आर्य की अध्यक्षता में "पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय" की प्रगति एवं कार्यान्वयन की
समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने विद्यालय भवन, स्मार्ट क्लासरूम, विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय एवं खेल मैदान जैसी आधारभूत सुविधाओं की जानकारी ली। 

इस दौरान जिलाधिकारी ने जनपद के केंद्रीय विद्यालय के गत वर्षों के बोर्ड परिणामों की जानकारी ली और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के साथ–साथ  विद्यालय के बजट, विद्यालय सुरक्षा, सफाई व्यवस्था, विद्यालय विकास निधि से विभिन्न विभागों हेतु क्रय का अनुमोदन, वोकेशनल लैब के निर्माण आदि की विस्तार से समीक्षा की ।

इस दौरान केंद्रीय विद्यालय के प्रतिनिधियों द्वारा अवगत कराया कि जनपद के केंद्रीय विद्यालय का प्रदर्शन राष्ट्रीय मानकों से उच्चतर रहा है जिसके चलते कई शिक्षकों को गोल्ड सर्टिफिकेट भी मिला है। 

जिलाधिकारी द्वारा विद्यालय में शिक्षकों की उपस्थिति की भी समीक्षा की गयी और कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए प्रशिक्षित एवं समर्पित शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं  तथा मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन देने और छात्र छात्राओं के मार्गदर्शन हेतु नए सुझावों को अमल में लाने के निर्देश दिए।


बैठक में विद्यालय की प्राचार्य कविता बिजरानिया, शिक्षाविद् एस.के मिश्रा, एसीएमओ बी.एस पांगती, अधिशासी अभियंता जिला विकास प्राधिकरण विनीत रस्तोगी सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित रहे।




स्वास्थ्य विभाग उत्तरकाशी 
27 सितंबर 2025

> *"स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत आई टी बी पी महिडांडा  उत्तरकाशी में आयोजित हुआ स्वास्थ्य शिविर।"*

> *"17 सितंबर से स्वास्थ्य सेवा पर्व के अवसर पर "स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान" के तहत नियमित रूप से आयुष्मान आरोग्य मंदिरों एवं समस्त चिकित्सा इकाइयों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन।"* 

शनिवार को सेवा पर्व के अवसर पर "स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के तहत आई टी बी पी महिडांडा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बी एस रावत की अध्यक्षता में "स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। 
आई टी बी पी वाहिनी चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शिविर में 239 आई टी बी पी जवानों की स्वास्थ्य जांच की गई। स्वास्थ्य शिविर में 70 लोगों की उच्च रक्तचाप, 70 लोगों की मधुमेह, 15 लोगों की ब्रेस्ट कैंसर, 39 लोगों की ओरल कैंसर, 01 महिला की ए एन सी जांच, 30 लोगों की हीमोग्लोबिन जांच, 02 लोगों का टीकाकरण जबकि आई टी बी पी जवानों द्वारा 12 यूनिट रक्तदान किया तथा 40 रक्तदाताओं द्वारा रक्तदान हेतु पंजीकरण कराया गया। रक्तदान के उपरांत मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा सभी रक्तदाताओं को सम्मान स्वरूप प्रमाण पत्र प्रदान कर शुभकामनाएं प्रेषित की गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि स्वास्थ्य सेवा पखवाड़े के अवसर पर जनपद की समस्त चिकित्सा इकाइयों एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा 29 सितंबर को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धौंतरी में दून मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ, अस्थि रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जनरल मेडिसन, जनरल सर्जन द्वारा आम जनता को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। उनके द्वारा क्षेत्र के सभी नागरिकों से अपील की गई कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर स्वास्थ्य शिविर से लाभान्वित हो।
इस अवसर पर जीतराम 2 आई-सी, द्वित्तीय कमान, अमित कुमार डी0सी0/जी0डी0 उप कमांडेट/सेनानायक, डॉ0 अर्चना, चिकित्सा अधिकारी, सूबेदार मेजर सुरजीत सिंह,  चिकित्साधिकारी डाॅ0 अनुवेष सेमवाल, डाॅ0 अनंत सेमवाल, डाॅ0 यशी बहुगुणा, डाॅ0 श्रुति, डाॅ0 जागृति, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक हरदेव सिंह राणा, ज्ञानेंद्र पंवार, वरिष्ठ लैब टैक्नीशिन मनोज नौटियाल, प्रदीप चैहान, नर्सिंग अधिकारी कुलदीप सुमाड़ी, कुरयन जाॅय, धर्मेन्द्र, ए0एन0एम0 मिनाक्षी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी मनीष नौटियाल,  आदि मौजूद रहे।










*Daily Rain & Weather Status | 27-09-2025*
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🌧️ *Rainfall (Tehsil-wise, mm)*

*HQ* –00.00 | *Bhatwari* 00.00 | *Dunda* –00.00 | *Chinyalisaur* –00.00 | *Barkot* –00.00 | *Purola* 00.00 | *Mori* –00.00
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🌦️ *Weather Condition*
Sunny weather across all tehsils of the district ☀️"
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*🚧 Road Status*

1️⃣ *Gangotri NH –* ✅The road from Nagun-Chinyalisour to Gangotri is clear.

2️⃣ *Yamunotri NH –*✅ Open for traffic, no blockage reported.

3️⃣ *Barkot–Damta–Vikasnagar Road –* ✅ Open for traffic, no blockage reported.

4️⃣ *Uttarkashi–SuwaKholi–Dehradun Road –* ✅ Motorable only for light vehicles.

5️⃣ *Uttarkashi–Lambgaon Road –* ✅ Open, no closure reported
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*🌊 River Level Status (m)*

*Bhagirathi →* Current: 1118.75| ⚠️ Alert: 1122.00 | 🚨 Danger: 1123.00
*Yamuna →* Current: 1058.28 | ⚠️ Alert: 1058.26 | 🚨 Danger: 1060.00
*Tons →* Current: 1266.98 | ⚠️ Alert: 1266.92 | 🚨 Danger: 1268.00
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📌 *District Emergency Operation Centre (DEOC), Uttarkashi **

*जनपद आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण उत्तरकाशी।*

🟢🟢 *जिलाधिकारी महोदय श्री प्रशांत आर्य* के आदेश के अनुपालन मे एवं *अपर जिलाधिकारी महोदया मुक्ता मिश्र के दिशा-निर्देश/मार्गदर्शन* मे तथा जिला बाल संरक्षण अधिकारी उत्तरकाशी के पत्र के क्रम मे *दिनांक 27.09.2025*  को *जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण उत्तरकाशी के तत्वाधान मे राजकीय सम्प्रेक्षण गृह परिसर मे उक्त विभाग के कार्मिको सहित जिला बाल संरक्षण इकाई/ चाइल्ड हेल्प लाइन/ विशिष्ट दत्तक गृहण इकाई* के कार्मिको (*कुल 16),* विकासखंड डुण्डा मे *01 दिवसीय आपदा सम्बन्धी प्रशिक्षण कार्यक्रम* संचालित किया गया।
🟢🟢 आपदा प्रबंधन मास्टर ट्रेनर मस्तान भण्डारी के नेतृत्व मे तथा क्यूआरटी के सहयोग से प्रशिक्षण के दौरान करने विभागीय कार्मिकों को *भूकम्प पूर्व-दौरान-पश्चात* की जानकारी, खोज- बचाव उपकरणों की उपयोगिता/ जानकारी, *इंप्रोवाइज् मेथड ऑफ़ स्टेचर मेकिंग/ मैन्युअल* , सेटेलाइट फोन संचालन विधि एवं उपयोगिता, *रोप नोट्स,* प्राथमिक उपचार , *राज्य व जनपद आपातकालीन केंद्र( आपदा) के टोल फ्री नम्बरों* आदि की जानकारी देते हुए, प्रयोगात्मक रूप से भी  प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
🟢🟢 प्रशिक्षण के मध्य भूकम्प/ आपदा संबंधी *जन जागरूकता के पंपलेट* भी कार्मिकों को *अधिक जानकारी अर्जित करने हेतु* वितरित किए गए।
🟢🟢 प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान *श्री रघुवीर सिंह बिष्ट बाल कल्याण अधिकारी* भी उपस्थित रहे।

 *With regards sir --Master trainer, DDMA Uttarkashi*

 *जनपद अन्तर्गत वर्तमान में मार्गों की स्थिति का विवरण- दूरभाष से प्राप्त सूचना अनुसार।

 *1-* गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
 *2-* यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
 *3-* बड़कोट-डामटा-विकास नगर राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात हेतु सुचारू हैं।
 *4-* उत्तरकाशी-लम्बगांव-घनशाली तिलवाड़ा मोटर मार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
 *5 -ऋषिकेश चंबा नरेंद्रनगर मोटर मार्ग यातायात हेतु सुचारू है।
 *6-* मसूरी सुवाखोली, मोरीयाना,मोटर मार्ग छोटे वाहनों हेतु सुचारू है।
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*देखिए राष्ट्रपति भवन में सप्त रंग रोशनी वातावरण के मनमोहक दृश्य पर खास कवरेज महेश बहुगुणा AND टीम के साथ=8126216516*


 

 

भारतीय संविधान निर्माण व संविधान सभा गठन प्रक्रिया की 7 अहम जानकारी महेश बहुगुणा (संविधान कथा वक्ता) के साथ=81262 16516

 

*"जनहुंकार" एपिसोड में देखिए ज्ञानवर्धक विश्लेषण GANAG 24 EXPRESS पर महेश बहुगुणा के साथ=8126216516*











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  *Manipur merged with India — From a Constitutional Monarchy to Part C State* 

 *1949 में आज ही के दिन हुआ  था भारतीय संघ में मणिपुर का विलय*
           ( 21 सितंबर 1949 )
*21 सितंबर 1949 को मणिपुर के राजा बोधसिंह को भारी मन से भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करने ही पड़े थे।*
   भारत को आजादी मिले 2 साल हो चुके थे। ज्यादातर रियासतें बिना किसी विशेष विरोध के भारत में शामिल हो चुकी थीं। हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर के शासकों ने अलग रहने के कुछ प्रयास किए लेकिन आखिरकार उन्हें भी भारत में शामिल होना ही पड़ा। इसी बीच 23 मार्च 1949 की एक चिट्ठी ने भारत सरकार का ध्यान मणिपुर की तरफ खींचा।
   यह चिट्ठी मणिपुर की प्रजा शांति पार्टी ने भारत के प्रधानमंत्री को लिखी थी। इसमें मणिपुर के भारत के साथ विलय पर असहमति जताई गई थी। लिखा था - *"मणिपुर भारत के बाकी राज्यों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएगा। ऐसे में अच्छा होगा कि मणिपुर और भारत दोनों एक-दूसरे के हितों की सुरक्षा करें।"*
           इस चिट्ठी के बाद  तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का ध्यान मणिपुर के विलय की तरफ गया। ठीक 6 महीने बाद *21 सितंबर 1949 को मणिपुर के राजा बोधसिंह को भारी मन से भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करने ही पड़े।*
   भारत सरकार ने असम के तत्कालीन राज्यपाल श्रीप्रकाश को मणिपुर पर नजर रखने का जिम्मा दिया था। वे गृह मंत्रालय के सचिव वी.के. मेनन को मणिपुर से जुड़ी हर जानकारी बता रहे थे। मेनन के जरिये ये बातें सरदार पटेल तक पहुँचती थीं।
    असम के तत्कालीन राज्यपाल श्रीप्रकाश के सलाहकार *"नारी रुस्तम"* ने अपनी किताब *‘इम्पेरियल्ड फ्रंटियर्स : इंडियाज नॉर्थ-ईस्टर्न बॉर्डरलैंड्स’* में इसका जिक्र किया है। श्रीप्रकाश ने मेनन को बताया था कि मणिपुर के नेता भारत में विलय के विरोध में मुखर हो रहे हैं। मेनन ने उन्हें फौरन बॉम्बे जाकर पटेल से मिलने की सलाह दी थी।
            *पटेल के बेडरूम में 10 मिनट की बैठक*
    असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश अपने सलाहकार नारी रुस्तम के साथ सरदार पटेल से मिलने बॉम्बे पहुँचे। उस वक्त पटेल बीमार थे और अपने बेडरूम में लेटे हुये थे। पटेल ने दोनों की बातें सुनी और सिर्फ एक सवाल पूछा - *क्या इस समय शिलॉन्ग में कोई ब्रिगेडियर नहीं है?*
     10 मिनट की बातचीत में ही पटेल ने अपने सख्त लहजे में साफ इशारा कर दिया कि मणिपुर को सेना के जरिये जल्द से जल्द भारत में मिलाना चाहिये।
    बॉम्बे से दोनों नेताओं के असम लौटते ही मणिपुर के भारत में विलय की प्रक्रिया शुरू हो गई। सबसे पहले रुस्तम जी मणिपुर के राजा बोधचंद्र से मिलने इंफाल पहुँचे। यहाँ जब उन्हें भारत में विलय की बात बताई गई तो बोधचंद्र उदास हो गए और रोने लगे।
     तय हुआ कि महाराजा बोधचंद्र असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश से बात करने शिलॉन्ग जायेंगे। दरअसल महाराजा बोधचंद्र ने किसी क्राइसिस की स्थिति में अपने रहने के लिये शिलॉन्ग में एक महल बनवा रखा था। शिलॉन्ग में राजा बोधचंद्र और असम के राज्यपाल श्रीप्रकाश के बीच मीटिंग शुरू होते ही राजा बोधचंद्र के हाथ में विलय का प्रस्ताव थमा दिया गया।
     इतिहासकार *वांगम सोमोरजीत* के मुताबिक, शुरुआत में राजा ने अपने मंत्रियों से सलाह लिये बिना विलय पत्र पर दस्तखत करने से मना कर दिया। इसके बाद तुरंत उनके घर को चारों ओर से घेरकर भारतीय सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया। उनकी टेलीफोन और टेलीग्राफ लाइन काट दी गई। बाद में वे दस्तखत के लिये राजी हो गये।
    *आखिरकार 21 सितंबर 1949 को बोधचंद्र सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके बाद पार्ट सी का दर्जा देकर मणिपुर में चीफ कमिश्नर रूल लागू किया गया। 1955 में राजा की मौत के बाद मणिपुर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को अलग राज्य का दर्जा मिला।*
       
*राजा बोधचंद्र भारत में विलय क्यों नहीं चाहते थे* 
     साल 1800 तक भारत के बड़े हिस्से पर अंग्रेजों ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थीं। इसके बाद अंग्रेजों की नजर नॉर्थ-ईस्ट की तरफ ही गई।
    मार्च 1891 में 5 अंग्रेज अधिकारी मणिपुर रिसायत से संधि करने कांगला शहर पहुँचे। तब कांगला मणिपुर की राजधानी हुआ करती थी। इस शहर का नाम यहाँ के स्थानीय देवता *कांगला शा* के नाम पर रखा गया था।
   ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज अधिकारियों के प्रस्ताव को सुनकर लोगों ने उन्हें मारकर कांगला शा देवता की दो विशाल मूर्तियों के पास दफना दिया था। जब इसकी सूचना अंग्रेज अफसरों के पास पहुँची तो उन्होंने दल-बल के साथ कांगला पर हमला कर दिया। वहाँ के राजा कुलचंद्र सिंह को कालापानी की सजा देकर अंडमान जेल भेज दिया गया।
    इसके बाद अंग्रेज अधिकारियों ने 5 साल के चुराचंद सिंह को मणिपुर की गद्दी सौंप दी और अपने एजेंट के जरिए यहाँ शासन करने लगे। 1941 में चुराचंद का निधन हो गया। उसके बाद राजा बोधचंद्र सिंह को मणिपुर की सत्ता मिली।
   1947 में जब भारत आजाद हुआ तो मणिपुर ने जूनागढ़ और हैदराबाद रियासत की तरह भारत में मिलने से मना कर दिया था। उनका मानना था कि भारत और मणिपुर के समाज में काफी अंतर है। ब्रिटिश सरकार ने भी मणिपुर की सत्ता राजा बोधचंद्र को सौंपी थी। वे जब कांगला पहुँचे थे तो उन्हें 18 तोपों की सलामी दी गई थी। यही वजह है कि *मणिपुर का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को नहीं बल्कि 28 अगस्त को मनाया जाता है।*
        ♀ *मणिपुर ने भारत से भी पहले लागू कर दिया था अपना संविधान* ♂
   27 जून 1947 को ही मणिपुर ने अपना संविधान लागू कर दिया था। नये संविधान के मुताबिक 1948 में यहाँ विधानसभा चुनाव कराये गये। *आजाद भारत में पहली बार वयस्क मताधिकार के जरिये मणिपुर में ही चुनाव हुआ।*
     चुनाव के बाद महाराजा को राज्य का संवैधानिक प्रमुख बनाया गया था। इसके अलावा छह सदस्यों वाली एक मंत्रिपरिषद का चुनाव राज्य विधानसभा करती थी। महाराजा के परामर्श से एक मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता था।
     इस समय मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल तीन साल का होता था। *साथ ही मणिपुर के संविधान में इस बात का जिक्र था कि विधानसभा में पहाड़ी जनजातियों को 36% आरक्षण मिलेगा।*
    मणिपुर की विपक्षी काँग्रेस पार्टी संविधान के सख्त खिलाफ थी और उसने मणिपुर के भारत में विलय के लिए आंदोलन चलाया था। *कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हिजाम इराबोट और मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र विलय के सख्त विरोधी थे।*
   इतना ही नहीं जब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मणिपुर, कछार, लुशाई पहाड़ और त्रिपुरा को मिलाकर *'पूर्वांचल'* नामक एक नया राज्य बनाने की कोशिश की, तब इराबोट और महाराजा बोधचंद्र दोनों ने इसका जमकर विरोध किया था।
       ♀ *मणिपुर बनने के 8 साल बाद ही अलग कुकीलैंड के लिए आंदोलन हुआ* ♂

  *1972 में मणिपुर पूर्ण राज्य बना।* इसके लगभग 8 साल बाद यानी 1980 के दशक में अलग कुकीलैंड की माँग शुरू हुई। उस वक्त कुकी-जोमी विद्रोहियों का पहला और सबसे बड़ा संगठन *कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ( यानी KNO )* अस्तित्व में आया।
     इसके बाद से ही समय-समय पर कुकीलैंड की माँग सामने आती रही है। 2012 में जैसे ही यह पता चला कि अलग तेलंगाना राज्य की माँग मान ली जायेगी। *कुकी स्टेट डिमांड कमेटी यानी KSDC* संगठन ने कुकीलैंड के लिये आंदोलन का एलान कर दिया। KSDC पहले भी समय-समय पर हड़ताल और आर्थिक बंदी का आह्वान करता रहा है। हाईवे को ब्लॉक करता रहा है और सामान को मणिपुर में आने से रोकता रहा है।
    मणिपुर से अलग कुकीलैंड की माँग को लेकर नवंबर 2012 में भी KSDC ने अनिश्चित काल के लिए ब्लॉकेड किया था। इस दौरान जरूरी वस्तुयें लेकर मणिपुर जाने वाले ट्रक कई दिनों तक हाईवे पर खड़े रहे थे।                   
    मणिपुर में कुकी जनजातियाँ मुख्य रूप से पहाड़ियों पर रहती हैं। मणिपुर की कुल आबादी लगभग 28.5 लाख है जिनमें 30% कुकी हैं। चुराचाँदपुर उनका मुख्य गढ़ है। चंदेल, कांगपोकपी, तेंगनौपाल और सेनापति जिलों में भी उनकी बड़ी आबादी रहती है।
    KSDC और कुकी-जोमी समुदाय के लोगों का कहना है कि आदिवासी क्षेत्र अभी भी भारतीय संघ का हिस्सा नहीं बने हैं। उनके तर्क हैं कि *1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध में मणिपुर के राजा की हार के बाद राज्य एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गया लेकिन कुकी-जोमी की भूमि इस समझौते का हिस्सा नहीं थी।*
    KSDC ने यह भी कहा कि *अलग देश की "नगा माँग" के विपरीत वह केवल भारतीय संघ के भीतर एक अलग राज्य की माँग कर रहा है।*
     06 मई 2023 को मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के बाद से एक बार फिर मणिपुर से अलग कुकीलैंड की माँग जोर पकड़ रही है। वहाँ मानवीय मूल्यों की भारी अनदेखी की जा रही है। सरकारें भी *"विवेकहीन अंधे धृतराष्ट्र"* की तरह पेश आ रही हैं।  
      *Manipur merged with India — From a Constitutional Monarchy to Part C State* 
       Historically, Manipur had a strong sense of nationalism, with its own constitution and representative government established in 1947. However, by 1949, tensions escalated, leading to the Maharaja of Manipur being placed under house arrest and eventually signing the merger agreement
    In September 1949, over two years after India got Independence, the fate of Manipur — unlike the other princely states of the Indian subcontinent which had decided which new country they wanted to join — was still unclear. Assam Governor Sri Prakasa and his advisor for tribal affairs, Nari Rustomji, made an urgent trip to Bombay to meet the ailing Sardar Vallabhbhai Patel, head of the States Department, on the advice of V. P. Menon who worked closely with Patel on the integration of the princely states to India after Independence.
    Both Patel and Menon spent a great deal of time and thought on the impact that decisions of the larger princely states such as Hyderabad and Kashmir could have upon the postcolonial political situation in India. But Manipur was ‘a small fry’ for the men behind the integration of India. However, when Sri Prakasa and Rustomji explained to Menon the implications of trouble in the border state, where the tribal population was already growing restless, he agreed they must immediately meet Patel and seek his counsel.
       In Bombay, Sri Prakasa and Rustomji met Patel in his bedroom. Sitting on the edge of the bed next to the one on which Patel lay, they spoke nervously about the disturbed affairs in the northeastern state. Patel, on the other hand, sat relaxed and quiet, listening and watching the two. Finally, he responded, “Do we not have a brigadier in Shillong?” He said little else after that, but as Rustomji noted in his memoir, “it was clear from the tone of his voice what he meant.” Soon after, they were signaled out of the room by Patel’s daughter Maniben and the conversation was over.
       What followed has often been described as unfair coercion to merge the state with India. “All Manipuri narratives of modern history begin with this episode, describing how they were cheated. Most of the policymakers are not even aware of it,” explains Sanjib Baruah, professor of Political Science at Bard College, New York. He explains this history has been the cause of insurgency movements and a lot of popular grievances in the state for almost the entire period of the existence of postcolonial India.
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 *Salwa Judum Human Rights activist Prof. Dr. Nandini Sundar Siddarth नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ*
    ( Born 22 September 1967 )
प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ दक्षिण एशिया की एक उत्कृष्ट सामाजिक मानवविज्ञानी हैं, जिन्होंने पर्यावरणीय संघर्षों, जनजातीय राजनीति पर केंद्र और राज्य की नीतियों के प्रभाव, और समकालीन भारत में निम्नवर्गीय राजनीतिक आंदोलनों से जुड़ी नैतिक अस्पष्टताओं की हमारी समझ में महत्वपूर्ण और मौलिक योगदान दिया है। ये योगदान समकालीन भारत में सांस्कृतिक राजनीति पर औपनिवेशिक शासन की विरासत की उनकी गहरी पकड़ और भारतीय समाज में प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं और सतत संरचनात्मक तनावों के संबंधों की सैद्धांतिक रूप से नवीन समझ पर आधारित हैं। 
   प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ ने मध्य भारत में जनजातीय राजनीति के अपने विस्तृत अध्ययन को आधुनिक भारत में कानून, नौकरशाही और नैतिकता के अध्ययन के व्यापक दायरे में रखा है। ऐसा करते हुये, उन्होंने उन समाजशास्त्रीय बहसों में नवीन अनुभवजन्य और नृवंशविज्ञान विधियों और अत्याधुनिक दृष्टिकोणों को जोड़ा है जो आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन को तुलनात्मक सामाजिक सिद्धांत की केंद्रीय बहसों से जोड़ते हैं।
   प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ को सामाजिक विज्ञान, सामाजिक नृविज्ञान के लिये, जनजाति और जाति सहित सामाजिक पहचानों और आधुनिक भारत में ज्ञान की राजनीति के एक उत्कृष्ट विश्लेषक के रूप में उनके योगदान के लिये इन्फोसिस पुरस्कार 2010 प्रदान किया गया है।
   डाॅक्टर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र की एक भारतीय प्रोफेसर हैं जिनकी शोध रुचियाँ राजनीतिक समाजशास्त्र, कानून और असमानता में हैं। इन्हें 2010 में सामाजिक विज्ञान के लिये इन्फोसिस पुरस्कार और 2016 में विकास अनुसंधान के लिये एस्टर बोसरुप पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।
     2007 में, डाॅक्टर नंदिनी सुंदर सिद्दार्थ और अन्य लोगों ने छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम निगरानी आंदोलन के कारण हुये मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की । 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया, सभी प्रभावित लोगों को मुआवज़ा देने और ज़िम्मेदार लोगों की जाँच और अभियोजन का आदेश दिया। इसने विशेष पुलिस अधिकारियों को भंग करने और निरस्त्र करने का भी आदेश दिया, जिनमें से कई नाबालिग युवा थे जिन्हें राज्य ने नक्सलियों से लड़ने के लिए हथियारबंद किया था। 
     अक्टूबर 2016 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, सुंदर और अन्य द्वारा दायर मामले में, केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने मार्च 2011 में सुकमा ज़िले के तीन गाँवों को जलाने और स्वामी अग्निवेश पर हमले में उनकी भूमिका के लिए सात विशेष पुलिस अधिकारियों और 26 सलवा जुडूम नेताओं के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए। कथित तौर पर इस आगजनी के साथ ग्रामीणों के बलात्कार और हत्याएँ भी हुई थीं। 
     इसके तुरंत बाद, पुलिस ने सुंदर और अन्य कार्यकर्ताओं के पुतले जलाए और बस्तर पुलिस ने 04 नवंबर 2016 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक आदिवासी शामनाथ बघेल की हत्या में कथित सह-साजिशकर्ता के रूप में उनके खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की।  पीड़ित की पत्नी ने एक राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल, एनडीटीवी को बताया कि उसने किसी का नाम नहीं लिया था, पुलिस ने उसकी शिकायत का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि सुंदर और एक अन्य प्रोफेसर संदिग्ध थे। 
    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जवाबी कार्रवाई के लिये बस्तर रेंज के आईजीपी एसआरपी कल्लूरी और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को तलब किया है और कहा है कि सुंदर और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के दौरे और शामनाथ बघेल की हत्या के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार का यह बयान दर्ज किया कि वे सुंदर को गिरफ्तार या जाँच नहीं करेंगे और फैसला सुनाया कि अगर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार कोई जांच करना चाहती है, तो उन्हें चार सप्ताह का नोटिस देना चाहिए, जिस दौरान सुंदर और अन्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। आखिरकार, छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद, फरवरी 2019 में छत्तीसगढ़ पुलिस ने हत्या के मामले से उसका नाम हटा दिया,  'प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी' का हवाला देते हुये। 
    Wishing professor of Sociology at the Delhi School of Economics, whose research interests include political sociology, law, and inequality Prof. Smt. NANDHINI SUNDAR SIDDARTH on her Birthday today. 
    Prof. Dr. Nandini Sundar Siddarth is a recipient of the Infosys Prize for Social Sciences in 2010. She was also awarded the Ester Boserup Prize for Development Research in 2016 and the Malcolm Adiseshiah Award for Distinguished Contributions to Development Studies in 2017.
   Dr. Nandini Sundar Siddarth obtained a Bachelor of Arts degree in Philosophy, Politics and Economics from Oxford University in 1989 and Master of Arts, Master of Philosophy and Ph.D. in Anthropology from Columbia University in 1989, 1991 and 1995 respectively. She has previously worked at Jawaharlal Nehru University, The Institute of Economic Growth and Edinburgh University. Nandini was editor of Contributions to Indian Sociology from 2007-2011 and serves on the boards of several journals. She has also been a member of the Technical Support Group to draft Rules for the Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2007, as well as served on other working groups in the erstwhile Planning Commission, and NCERT.
     In 2007, Nandini along with others filed Public Interest Litigation against Human Rights violations in Chhattisgarh, arising out of the *Salwa Judum* vigilante movement. In 2011, the Supreme Court of India banned Salwa Judum, ordered compensation for all those affected, and investigation and prosecution of those responsible. It also ordered the disbanding and disarming of Special Police Officers, many of whom were underage youth who had been armed by the state to fight Naxalites.
       Nandini is married to Siddharth Varadarajan, former Chief Editor of The Hindu and a founding editor of The Wire.
             Publications
Selected publications of Sundar include:
  The Burning Forest: India's War in Bastar (Juggernaut Press, 2016), The Scheduled Tribes and their India (edited volume, OUP, 2016), Civil Wars in South Asia: State, Sovereignty, Development (Sage 2014, co-edited), Subalterns and Sovereigns: An Anthropological History of Bastar (2nd ed 2007, 1997), Branching Out: Joint Forest Management in India (co-authored, OUP, 2001), Legal Grounds: Natural Resources, Identity and the Law in Jharkhand (edited OUP, 2009), Anthropology in the East: The founders of Indian sociology and anthropology (co-edited, Permanent Black, 2007) A New Moral Economy for India's Forests (co-edited, Sage, 1999)
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है आनंद असीम तो पीड़ा कभी अनंत। 
जीते हैं  जीवन यही  सब जीवन पर्यंत।। 

केवल उनको ही मिले सुखद समय के फूल। 
झेल सके  जो धैर्य से   कालचक्र  प्रतिकूल।।

जी  पाये  जीवन  वही  दुख संताप विहीन। 
निज मनको जो रख सके मेधा के आधीन।।

स्वीकारेगा  जब हृदय सच का अध्यादेश। 
तभी सुखद हो पायेगा जीवन का परिवेश।।

बिन विचलन के सह पाये जो वक्त के वार। 
जीवन के  रण में  जीते वही  आखिरकार।।
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